गौण खनिजों के मामले में अवैध खदानों तक भी नहीं पहुंचा अमला, केवल गाड़ियों पर होता रहा जुर्माना
रायगढ़, 1 सितंबर। हाईकोर्ट ने प्रदेश में खनिजों के अवैध खनन व परिवहन पर कार्रवाई को लेकर सरकार की टांग खिंची है। सीएस को एफिडेविट देने का आदेश मिलते ही सारे जिलों को कार्रवाई का आदेश दिया गया। रायगढ़ जिले में बीते पांच सालों में केवल अवैध परिवहन पर अर्थदंड वसूलने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए छग सरकार की खिंचाई की है। खनिजों के अवैध दोहन के मामलों में कार्रवाई के तरीकों पर सवाल उठे हैं। रायगढ़ जिले में भी इसी तरह से सतही कार्रवाई की गई है। वर्ष 17-18 से अब तक छह सालों के आंकड़े देखें तो पता चलेगा कि नाम को राजसातकरण की कार्रवाई का अधिकार मिला है लेकिन कोई कार्रवाई हुई नहीं।












अवैध खनन करते हुए जो वाहन पाए गए वे भी जुर्माना देकर छूट गए। खनिज का अवैध परिवहन करने वाले वाहनों को तो अगले ही दिन छोड़ दिया गया। खनिज विभाग ने वर्ष 17-18 में 30 लाख रुपए गौण खनिजों से वसूल किए। इसमें अर्थदंड और राजसातकरण को शामिल किया गया है। लेकिन कोई गाड़ी राजसात हुई ही नहीं। वर्षवार खनिज विभाग ने गौण खनिजों के अवैध खनन व परिवहन के मामलों में केवल जुर्माना ही वसूला। कई बार डोलोमाइट, लाइमस्टोन और रेत के अवैध खनन में लिप्त वाहन भी पकड़े गए। ऐसे मामलों में भी वाहनों पर जुर्माना ही लगाया गया।





क्रशर संचालकों से सांठगांठ
कोयले के अवैध खनन का मामला तो खनिज विभाग की पहुंच से दूर है। जब भी कोई सूचना मिली खनिज अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। गौण खनिजों के मामले में भी यही रवैया रहा। बिना टीपी के गाड़ी पकड़े जाने पर खनिज के स्रोत के बारे में पड़ताल ही नहीं की। ऐसा करने पर क्रशर संचालक फंसता इसलिए सांठगांठ कर ली गई। वाहनों को जितना जुर्माना लगाया जाता है, उतना तो पांच दिन में कमाई हो जाती है।



वर्ष अर्थदंड
17-18 30 लाख
18-19 45 लाख
19-20 23 लाख
20-21 47 लाख
21-22 1.23 करोड़
22-23 81 लाख
