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Home | Raigarh News : किसी को नहीं दिखता फ्लाई एश, यहां मची है मनमानी, हाईवे किनारे कहीं भी डाल रहे एश, मिट्टी नहीं पाटने के कारण उड़ रही डस्ट, रायगढ़ से खरसिया के बीच प्रदूषण चरम पर

Raigarh News : किसी को नहीं दिखता फ्लाई एश, यहां मची है मनमानी, हाईवे किनारे कहीं भी डाल रहे एश, मिट्टी नहीं पाटने के कारण उड़ रही डस्ट, रायगढ़ से खरसिया के बीच प्रदूषण चरम पर

रायगढ़। फ्लाई एश का इस्तेमाल लो लाइंग एरिया में करने की अनुमति की आड़ में मनमानी की जा रही है। साइंटिफिक तरीके से इसका डिस्पोजल करने के बजाय बेतरतीब ढंग से पाटा जा रहा है। रायगढ़ से खरसिया एनएच पर हर 25-25 मीटर में रोड किनारे ही एश डंप किया गया है। गाड़ियां गुजरने के साथ एश उड़ती रहती है। प्रदूषण का स्तर बहुत खतरनाक है। हैरानी की बात यह है कि अफसरों को यह नहीं दिखता। रायगढ़ जिले में पर्यावरण प्रदूषण बहुत खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह फ्लाई एश है। पावर प्लांटों से उत्सर्जित फ्लाई एश का निराकरण करने के लिए लो लाइंग एरिया और खदान भराव में उपयोग किया जाना है। इसको इस्तेमाल करने के लिए भी गाइडलाइन तय है। उसका पालन नहीं किया जा रहा है।

रायगढ़-खरसिया एनएच पर तो हाल-बेहाल है। भारी ट्रैफिक के बीच यहां हर 50 मीटर में कहीं न कहीं फ्लाई एश पाटा जा रहा है। कोसमनारा के बाद ही ढाबा, कॉमपलेक्स आदि बनाने के लिए इसे उपयोग किया जा रहा है। इसे मिट्टी में मिलाकर पाटा जाना है। कई ढाबे, वर्कशॉप और गैरेज इस रोड पर खोले गए हैं। सभी ने फ्लाई एश का ही इस्तेमाल किया है लेकिन इसे खुल ही छोड़ दिया है। इसके ऊपर मिट्टी नहीं पाटी गई है। इसलिए एनएच में एश डस्ट के कारण प्रदूषण बहुत अधिक हो चुका है। इसे रोकने का काम जिन अधिकारियों को मिला है, उनको तो रायगढ़ में प्रदूषण ही नहीं दिखता। स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि ट्रांसपोर्टरों ने प्राकृतिक नालों के आसपास भी एश डाल दिया है।

खेतों में भी जा रहा एश
रोड किनारे एश डालने के कारण खेतों की फसल को नुकसान हो रहा ढाबा बनाने के लिए कई जगहों पर एश डाला जा चुका है। लेकिन इसके ऊपर मिट्टी पाटने के बजाय खुला ही छोड़ दिया गया है। साइंटिफिक डिस्पोजल करने के बजाय मनमाने तरीके से इसे डंप किया गया है। बारिश में बहकर कई खेतों की फसल भी इस वजह से खराब हो चुकी है।

अनुमति सूची में एक भी जगह का नाम नहीं
हैरानी की बात यह है कि पर्यावरण विभाग इस ओर ध्यान ही नहीं देता। जिन प्लांटों को लो लाइंग एरिया में एश डालने की अनुमति दी गई है, उसमें कोसमनारा, जोरापाली, धनागर आदि गांवों के एक भी खसरा नंबर का जिक्र नहीं है। एनएच किनारे के किसी भी जगह पर एश डालने की अनुमति नहीं ली गई है। फिर भी यहां हजारों टन एश डाला जा चुका है।