रायगढ़। एनजीटी के सख्त निर्देश हैं कि मूर्तियों को नदियों में विसर्जित नहीं करना है। उनके लिए अलग से कुंड बनाया जाये और नियमों का पालन कराने के लिए टीम तैनात की जाये। यह सब जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है मगर यहां इसको लेकर कोई तैयारी ही नहीं की गई है। शुक्रवार को अनंत चर्तुदशी है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण दस दिनों तक पूजा-अर्चना करने के बाद गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए केलो नदी तट पर जुटेंगे मगर मूर्ति विसर्जन के लिए अब तक कुंड ही नहीं बनाया गया है। ऐसे में सभी मूर्तियां इस बार भी केलो नदी में समाहित होंगी। नदियों के बढ़ते प्रदूषण को लेकर एनजीटी काफी सख्त हो चुका है। यही वजह है कि एक ओर जहां बड़ी नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए एसटीपी प्रोजेक्ट पर काम करने के निर्देश दिये जा रहे हैं तो वहीं मूर्ति विसर्जन को लेकर भी गाइड लाइन जारी किए गए हैं क्योंकि मूर्तियों में इस्तेमाल किए जाने वाले कलर्स में कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल होता है। नदी में जाकर यह घुल जाता है और पानी दूषित हो जाता है।
एनजीटी के सख्त निर्देश हैं कि प्रतिमाओं का विसर्जन नदियों में नहीं किया जाना है। विसर्जन के लिए प्रशासन को अलग से व्यवस्था करना है। प्रतिमाओं के लिए कुंड तैयार करना है और उन्हीं कुंडों में मूर्तियों का विसर्जन करना है लेकिन रायगढ़ में इन निर्देशों का पालन होना नहीं दिख रहा है क्योंकि अब तक नगर निगम ने केलो नदी तट पर न तो विसर्जन के लिए कुंड बनाया है और न ही नदी में मूर्तियों के विसर्जन को रोकने के लिए कर्मचारियों को तैनात नहीं किया है जबकि एनजीटी से सभी कलेक्टरों और नगर निगम कमिश्नर को गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराने के लिए पत्र जारी किया है। पिछले साल भी यह गाइडलाइन जारी की गई थी मगर तब भी नगर निगम की इसी तरह की लापरवाही सामने आयी थी।
पूजा सामग्रियों को भी डाल रहे नदी में
गणेश विसर्जन का दौर शुरू हो चुका है। रोज श्रद्धालु अपने घरों , मोहल्ले व चौक-चौराहों पर विराजे विघ्नहर्ता की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए धूम धमाके के साथ सड़क पर उतर रहे हैं और केलो नदी में जाकर विसर्जन कर रहे हैं। इसके साथ ही पूजा में इस्तेमाल किए गए सामग्रियों को भी नदी में छोड़ दिया जा रहा है जबकि इसके लिए भी अलग से कुंड तैयार करने व पूजन सामग्री को उस कुंड में डालने के निर्देश हैं।
पर्यावरण विभाग ने आयुक्त को लिखा पत्र
नदी को प्रदूषित होने से बचाने का मामला पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। विभाग के अधिकारी भी यह स्वीकारते हैं कि नगर निगम को मूर्ति विसर्जन के लिए कुंड का निर्माण करते हुए कर्मचारियों की तैनाती करनी चाहिये मगर अब तक वैसा कुछ नहीं हुआ है। ऐसे में पर्यावरण अधिकारी ने भी नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर एनजीटी के गाइडलाइन के मुताबिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
