Skip to content
Home | नेतनागर नहर विवाद फिर गर्माया, मुआवजे को लेकर बिफरे किसान

नेतनागर नहर विवाद फिर गर्माया, मुआवजे को लेकर बिफरे किसान

रायगढ़। जिले की पुसौर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम नेतनागर में केलो परियोजना के नहर निर्माण कार्य को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है कल जहां आस पास के किसानों व ग्रामीणों ने नहर निर्माण का कार्य बंद करने को लेकर जमकर हंगामा मचाया था। वहीं, आज फिर से नहर निर्माण का कार्य प्रशासन द्वारा शुरू किये जाने से ग्रामीण भडक़ गये और फिर से धरना प्रदर्शन करते हुए हंगामा मचाना शुरू कर दिया जिसकी जानकारी मिलने पर रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक भी मौके पर पहुंच गये और काम को बंद कराते हुए वे भी ग्रामीणों के साथ जेसीबी के सामने धरने पर बैठ गये हैं।

विधायक का कहना है कि ग्रामीणों के साथ प्रशासन दोबारा बात करें, बिना ग्रामीणों के सहमति के निर्माण कार्य नहीं होगा। वहीं ग्रामीणों के हंगामे को देखते हुए रायगढ़ एसडीएम, पुसौर तहसीलदार, रायगढ़ सीएसपी, जूटमिल टीआई सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंची। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार पुसौर ब्लाक के ग्राम नेतनागर सहित आसपास के एक दर्जन गांव में केलो परियोजना के अधूरे काम को पूरा करने के लिये विभाग की टीम पहुंची थी। साथ ही साथ इस इलाके में केलो बांध का पानी किसानों के खेत तक पहुंचे इसके लिये कुछ सालों पहले केलो बांध की नहर पर भी स्वीकृति मिली थी, कुछ कारणों से यह काम नहीं हो पाया था, जब अचानक आज केलो परियोजना विभाग की टीम गांव के उस स्थान पर पहुंची तब किसानों ने मोर्चा खोल दिया। अंतत: प्रशासन और ग्रामीणों के बीच बातचीत शुरू हुई और पुलिस कंट्रोल रूम में कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा ने किसानों के साथ बैठक ली, लेकिन किसानों की मानें तो यह बैठक बेनतीजा रही।

किसानों का कहना है कि वह किसी भी हाल में अपनी जमीन सूखी नहर के लिये नही देंगे। जिस केलो नदी में पानी नही रहता वह आम जनता के लिये और खासकर किसानों के लिये किसी काम का नही है। उनका आरोप है कि सिर्फ उनकी उपजाउ जमीन को शासन अधिग्रहित करके अपनी वाहवाही लूटना चाह रही है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उनके गांव के समीप नहर आ चुकी है, लेकिन उसमें पानी रहता ही नही। जहां तक मुआवजे की बात है, अभी तक किसी भी ग्रामीण ने मुआवजा नहीं लिया है, क्योंकि हमें नहर नहीं अपनी जमीन चाहिए। आखिरकार वार्ता में एक अस्थाई हल निकाला गया है कि नहर का काम दूसरी छोर से शुरू कराया जाये मगर किसानों के मुआवजे की मांग पर भी प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया।