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ज्यादातर महिलाएं हो रही पीसीओएस की शिकार, इसका उपचार समय पर जरूरी : डॉ. सुरभि सैनी

रायगढ़। खाने पीने में लापरवाही और स्ट्रेस भरी लाइफस्टाइल की वजह से आजकल ज्यादातर महिलाएं पीसीओएस (PCOS)) का शिकार बन रही हैं। दरअसल, पीसीओएस महिलाओं की ओवरी में होने वाला एक प्रकार का सिस्‍ट होता है। जो सेक्स हार्मोन में असंतुलन पैदा होने पर होता है। इस हार्मोन में होने वाले बदलाव पीरियड्स साइकिल और प्रेग्नेंसी पर तुरंत असर डालते हैं। जिसकी वजह से ओवरी में छोटी सिस्‍ट बन जाती है। इस समस्या को ठीक करने के लिए महिला को अपने लाइफस्‍टाइल और हेल्दी खान-पान पर ध्यान देना होता है। 15-45 वर्ष उम्र में लगभग 5 से 10 प्रतिशत महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से प्रभावित होती हैं। हालांकि, इसके साथ भी प्रेगनेंट होना या कंसीव करना नामुमकिन नहीं है, बस थोड़ा-सा मुश्किल है। आइये जानते हैं इस बारे में रायगढ़ जिले के सुप्रसिद्ध अस्पताल श्री बालाजी मेट्रो हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरभि सैनी ने महिलाओं को विस्तृत रूप से जानकारी दी है। आइये जानते हैं :

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम क्या है? पीसीओएस, हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है। इसका प्रजनन प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है और यह हृदय के साथ-साथ शरीर की रक्त शर्करा की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। यह गर्भधारण की कोशिश कर रही महिलाओं में कठिनाइयों का कारण बन सकता है और इसे नि:संतानता के सामान्य कारणों में से एक माना जाता है। यह स्थिति पीरियड्स देरी से आने और कुछ शारीरिक परिवर्तनों का कारण बनती है। पीसीओएस में, सेक्स हार्मोन गड़बड़ा सकते हैं, जिससे चेहरे और शरीर के अतिरिक्त बाल निकल सकते हैं या शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ सकता है। हालांकि पीसीओएस नाम से लगता है कि इस स्थिति वाली महिलाओं के कई सिस्ट होंगी लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर किसी में पीसीओएस का मतलब सिस्ट हो।

यह गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करता है?
पीसीओएस होने के बावजूद गर्भधारण करने वाली महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए। क्योंकि ऐसी महिलाओं में गर्भपात होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है।
मधुमेह और समय से पहले प्रसव कुछ पीसीओएस के दुष्प्रभाव हैं जो गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न हो सकते हैं। डॉक्टर की ओर से गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए गर्भावस्था के दौरान मेटफॉर्मिन जारी रखने की सिफारिश की जा सकती है। पीसीओएस के साथ गर्भावस्था के दौरान नियमित व्यायाम की आवश्यकता होती है। हल्का व्यायाम शरीर के इंसुलिन के उपयोग को बढ़ावा देगा, हार्मोनल संतुलन बनाएगा और वजन को नियंत्रण में रखने में मदद करेगा।
वॉकिंग और माइल्ड स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को महिलाओं के लिए सबसे अच्छा व्यायाम माना गया है, जो उन्हें आशावादी बनाए रखता है। पीसीओएस के साथ गर्भवती होने पर आहार का भी महत्व है। प्रोटीन और फाइबर का अधिक सेवन गर्भावस्था के दौरान इंसुलिन के स्तर को बनाए रखने में मदद कर सकता है। पीसीओएस के साथ ज्यादातर गर्भवती महिलाओं में सिजेरियन सेक्शन डिलीवरी की जाती है। वजह, जब पीसीओएस होता है तो जटिलताओं का खतरा बहुत अधिक होता है, जैसे जीडीएम (Pregnancy Sugar) या उच्च रक्तचाप। यदि गर्भावस्था में सही सलाह व इलाज लिया जाए तो कंप्लीट नेशन को अवॉइड कर नॉर्मल डिलीवरी का प्रयास भी किया जा सकता है। पीसीओएस के साथ गर्भवती होना असंभव नहीं है, लेकिन गर्भ धारण करना बहुत मुश्किल है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पीसीओएस वाली महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन होता है जो सामान्य ओव्यूलेशन और पीरियड्स को डिस्टर्ब कर सकता है। अंडे की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

पीसीओएस और गर्भावस्था
पीसीओएस स्थिति के साथ भी कई महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं और बगैर चिकित्सकीय सहायता के पूरा समय निकालती है लेकिन जिन्हें चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है, उन्हें प्रसूति और प्रजनन संबंधी एंडोक्राइनोलॉजिस्ट गर्भधारण करने और टेंशन फ्री प्रसव के लिए मार्गदर्शन कर सकते हैं। पीसीओएस के साथ भी बड़ी संख्या में महिलाएं गर्भवती होती हैं और उपचार कराने पर स्वस्थ संतान की प्राप्ति भी होती है।

पीसीओएस होने के संभावित कारण
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम का कोई सटीक कारण अभी तक नहीं पाया गया है लेकिन इंसुलिन प्रतिरोध और हार्मोन असंतुलन को आनुवंशिकी माना गया है। अगर किसी परिवार के सदस्य उसकी मां, बहन या चाची को पीसीओएस है, तो एक महिला में उसका जोखिम लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।पीसीओएस का पता चलने वाली लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध मौजूद होता है।
यह स्थिति अंडाशय को टेस्टोस्टेरोन की अधिकता पैदा करने के लिए उत्तेजित कर सकता है, जिससे फॉलिकल का सामान्य विकास बाधित होता है।
इससे अक्सर ओव्यूलेशन में अनियमितता होती है। बदलती जीवनशैली, अधिक वजन होना, इंसुलिन प्रतिरोध, हार्मोन के असंतुलन जैसे कि टेस्टोस्टेरोन का बढ़ा हुआ स्तर, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का उच्च स्तर (एलएच) अधिक स्तर भी पीसीओएस का कारण बन सकता है।

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के लक्षण
है पीसीओएस के लक्षणों की शुरूआत धीरे-धीरे होती है और अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता है।
हालांकि लक्षण किशोरावस्था से ही शुरू हो सकते हैं, लेकिन महिला के अच्छी मात्रा में वजन हासिल करने के बाद नजर आने लगते हैं। मासिक धर्म संबंधी समस्याएं जैसे कि पीरियड्स का समय से पहले होना या न होना, पीरियड्स के दौरान भारी,अनियमित ब्लीडिंग स्कैल्प से बालों का गिरना, जबकि शरीर के बाकी हिस्सों पर बाल आ जाते हैं जैसे चेहरा।
इसके अलावा बार-बार गर्भपात होना, डिप्रेशन, इंसुलिन रेजिस्टेंस और प्रतिरोधी स्लीप एप्निया पीसीओएस के कुछ चेतावनी संकेत हैं। कुछ अन्य लक्षणों में त्वचा के धब्बे, मूड स्विंग्स और गर्भवती होने में कठिनाई होती है। अक्सर, इन्हें अनदेखा किया जाता है या अन्य कारणों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है और परिणामस्वरूप पीसीओएस निदान में देरी होती है। इन लक्षणों के अलावा, पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

पीसीओएस का निदान कैसे किया जाता है?
चूंकि प्रभावित प्रत्येक महिला में पीसीओएस के सभी लक्षण नजर नहीं आते हैं। सबसे पहले, डॉक्टर महिला की मेडिकल हिस्ट्री की समीक्षा कर वजन, बीएमआई, मासिक धर्म, आहार और व्यायाम आहार जैसी जानकारी पता करता है। विशेष रूप से हार्मोन की समस्याओं और मधुमेह के संबंध में पारिवारिक इतिहास की जानकारी ली जाएगी। इसके बाद ब्रेस्ट, थायरॉइड ग्रंथि, त्वचा और पेट का फिजिकल एग्जामिनेशन किया जाता है। इसके बाद अल्ट्रासाउंड कर यह जाना जाता है कि अंडाशय में तो कोई असामान्यता नहीं है? यदि पीसीओएस के लक्षण जैसे सिस्ट और बढ़े हुए अंडाशय के लक्षण मौजूद हैं, तो वे परीक्षण के दौरान दिखाई देंगे। डॉक्टर टेस्टोस्टेरोन, प्रोलैक्टिन, ट्राइग्लिसराइड्स, कोलेस्ट्रॉल, थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) और इंसुलिन के स्तर की जांच के लिए रक्त परीक्षण भी करा सकते हैं। लिपिड स्तर जांच, फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट और थायरॉयड फंक्शन टेस्ट भी हो सकते हैं। इस स्थिति का स्पष्ट निदान तब मिलता है जब रोगी में निम्न मापदण्ड मिलते हैं मसलन मासिक धर्म की गड़बड़ी होना है।
ब्लड में पुरुष हार्मोन के उच्च स्तर की उपस्थिति जिससे मुंहासे या शरीर या चेहरे पर अतिरिक्त बाल आने लगते हैं। दोनों अंडाशय के आकार में वृद्धि होने लगती है या एक अंडाशय पर 12 या इससे अधिक रोम की उपस्थिति दिखती है।

पॉलीसिस्टिक रोग के लिए उपचार
पीसीओएस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे वजन घटाने, स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और दवा के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। अधिक वजन वाली महिलाओं को डॉक्टर वजन कम करने की सलाह देता है। न्यूनतम पांच प्रतिशत वजन कम करने से भी मासिक धर्म चक्र के सामान्य होने और इस तरह से ओव्यूलेशन हो सकता है।

व्यायाम और संतुलित आहार
कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, साबुत अनाज सब्जियां और फल एक संतुलित आहार का निर्माण करते हैं। संतुलित आहार के साथ व्यायाम रोग को कम करने में मदद करेगा।

धूम्रपान छोड़ें
धूम्रपान करने वाली महिलाओं में एंड्रोजेन या पुरुष सेक्स हार्मोन अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं। ये हार्मोन पीसीओएस के लिए जिम्मेदार हैं। धूम्रपान छोड़ने से पीसीओएस के उपचार में मदद मिल सकती है।

दवा
पीसीओएस के लक्षणों के उपचार के लिए अक्सर दवा निर्धारित की जाती है। नियमित पीरियड सुनिश्चित करने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां लेनी पड़ सकती हैं। शरीर पर अत्यधिक बाल आने या बालों के झड़ने को दवाओं के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।

लेप्रोस्कोपी
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में लेप्रोस्कोपी भी एक विकल्प है। गर्भधारण करने की कोशिश करने वालों में लेप्रोस्कोपिक ओवेरियन ड्रिलिंग (एलओडी) की जाती है। यह एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) पैदा करने वाले ऊतक को खत्म करने के लिए किया जाता है। यह हार्मोन के स्तर को संतुलित करने में मदद कर सकता है जिससे अंडाशय सामान्य रूप से गर्भावस्था की ओर अग्रसर हो सके लेकिन कुछ उदाहरणों में, यह एक अल्पकालिक समाधान ही है।

आईवीएफ बेस्ट विकल्प
पीसीओएस से पीड़ित अधिकांश महिलाएं सही उपचार से गर्भवती हो सकती हैं। इसमें लक्षणों और स्थिति के आधार पर क्लोमीफीन या मेटफॉर्मिन का एक कोर्स शामिल हो सकता है। इसके बाद भी पीसीओएस के साथ गर्भवती नहीं होने वाली महिलाओं के लिए आईवीएफ भी एक बेस्ट विकल्प है। जब दवाइयां परिणाम उत्पन्न करने में विफल होती हैं या किसी केस के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं,
तो डॉक्टर आईवीएफ या इन-विट्रो निषेचन के लिए चयन करने की सिफारिश कर सकते हैं। कुछ मामलों में, पीसीओएस का अंडों पर प्रभाव पड़ सकता है,
और फिर दाता अंडे की आवश्यकता हो सकती है।

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