डीओ जारी करने में असमानता के कारण बड़े मिलरों को फायदा, जिनकी सेटिंग उनको ज्यादा धान
रायगढ़। इस बार धान खरीदी में तो गड़बड़ी हो ही रही है, साथ ही कस्टम मिलिंग में भी अव्यवस्था है। कई मिलरों को मनमाने तरीके से धान उठाव का डीओ मिला तो कई हाथ मलते रह गए। डीओ जारी करने में ऐसी गड़बड़ी देखकर कलेक्टर ने भी मार्कफेड एमडी को पत्र लिखा है। इसमें फस्र्ट इन, फस्र्ट आउट की तर्ज पर दूरी अनुसार डीओ जारी करने का आग्रह किया गया है।
धान खरीदी के साथ उठाव तेजी से नहीं होने का खाामियाजा अंत में समिति को ही भुगतना पड़ता है। इस बार भी पिछले सालों की तर्ज पर ही उठाव चल रहा है। लेकिन इस बार डीओ जारी करने में गड़बड़ी की जा रही है। जिले में करीब सौ राइस मिल हैं जिनकी क्षमता 355 टन है। कई राइस मिलों को 20 हजार क्विंटल से अधिक धान दिया जा चुका है। वहीं कई मिलरों की बोहनी भी नहीं हो सकी थी। इस मामले में कलेक्टर ने मार्कफेड एमडी को पत्र लिखा है। इसमें कह गया है कि 0-100 किमी की दूरी में मिलरों को डीओ दिए जाने से उठाव तेजी से होगा। पत्र में इस गड़बड़ी को स्वीकार किया गया है। इस बार मार्कफेड की गलती से धान उठाव में गलत प्रक्रिया शुरू हो गई है। सॉफ्टवेयर को ऐसा बनाया गया है कि सेटिंग करने वाले मिलरों की चांदी हो गई है। कई मिलों को क्षमता से अधिक धान मिल चुका है।
एनआईसी की मनमानी जारी
धान खरीदी के लिए किसान पंजीयन में एनआईसी की गड़बड़ी सामने आ चुकी है। राजस्व रिकॉर्ड की खिचड़ी बना दी गई थी। अभी तक इसका सुधार हो रहा है। अब डीओ जारी करने में भी गड़बड़ी सामने आ चुकी है। पहले भी कई बार एनआईसी रायपुर के कई अधिकारियों का नाम कस्टम मिलिंग में उछल चुका है।
