तत्कालीन पदस्थ अफसरों ने ही कराया सौदा, कई बेनामी सौदों में ब्लैक मनी खपाई
रायगढ़। महाजेंको घोटाले की जांच तकरीबन अंतिम चरण में है। कार्रवाई को लेकर अब संदेह पैदा हो गया है क्योंकि टुकड़ों में जमीन खरीदने वालों में राज्य प्रशासनिक सेवा के कई अफसर शामिल हैं। करीब २० अधिकारियों ने अपने पति, पत्नी, भाई, बहन, माता-पिता समेत अन्य रिश्तेदारों केे नाम पर रजिस्ट्री करवाई है। इस काम को तत्कालीन पदस्थ अधिकारियों ने अंजाम दिया है।
कोयला खदानों के लिए भू-अर्जन में घोटाले की रूपरेखा खुद राजस्व विभाग के अधिकारी तय कर रहे हैं। रायगढ़ में सभी कोयला खदानों में जमीनों की अवैध तरीके से खरीदी करने और करवाने वाले ही अफसर हैं तो इसे रोकने की उम्मीद किससे की जाए। महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को गारे पेलमा सेक्टर टू कोल ब्लॉक आवंटित हुआ है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। कोयला मंत्रालय द्वारा 2015 में आवंटन आदेश जारी होने के बाद से ही प्रभावित 14 गांवों में टुकड़ों में रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लग गया था। यह प्रतिबंध तब तोड़ा गया जब राज्य सरकार में अहम ओहदों में काबिज अफसर मोटी रकम लेकर तमनार पहुंचे।
सभी अफसर अपने रिश्तेदारों के नाम पर छोटे टुकड़ों में जमीन खरीदना चाहते थे। इनके लिए जमीन दलालों को एक्टिव कर बाकायदा जमीनें खोजी गईं। अधिकारी से बिक्री की अनुमति ली गई और पटवारी से टुकड़ों में रजिस्ट्री के लिए बिक्री नकल जारी करवाई गई। उपपंजीयक ने रजिस्ट्री भी कर दी। सूत्रों के मुताबिक करीब 20 ज्वाइंट कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारियों ने यहां जमीनें खरीदी हैं। जमीनों की रजिस्ट्री कीमत बेहद कम थी जबकि सौदा 70-80 हजार रुपए डिसमिल में हुआ। अफसरों ने इसका भुगतान कच्चे में कराया है। अवैध कमाई की रकम इसमें डाली गई ताकि चार गुना मुआवजा पाया जा सके।
सरकार से नहीं ली अनुमति
इन 20 अफसरों ने जमीनें खरीदने के पूर्व सरकार से अनुमति तक नहीं ली। शासन को अंधेरे में रखकर बेनामी संपत्ति खरीदने वालों में सबसे ज्यादा रायगढ़ में पदस्थ अधिकारी ही हैं। इन अधिकारियों की मदद वहीं के पूर्व पदस्थ अधिकारियों ने की। कुछ आईएएस अफसरों के भी नाम इसमें आ रहे हैं। इन जमीनों पर निर्माण कर लिए गए हैं ताकि मुआवजा गणना की दर बढ़ जाए।
