दो अलग-अलग विभागों में अलग लागत बताने का मामला, जानबूझकर की गई धोखाधड़ी
रायगढ़, 3 मार्च। सेस देने और सब्सिडी लेने के लिए दो विभागों में अलग-अलग लागत बताने वाले दो फर्मों पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। इस बीच एक फर्म ने 77 हजार रुपए सेस के रूप में जमा किए हैं। इसे कार्रवाई से बचने की चाल मानी जा रही है। महालक्ष्मी राईस मिल ग्राम अमुर्रा बरमकेला और हनुमान फूड्स दानसरा ने जानबूझकर धोखाधड़ी की है। सेस कम देने के लिए महालक्ष्मी राइस मिल संचालक माया देवी अग्रवाल ने आईएचएसडी में लागत 53.20 लाख रुपए बताई थी। उन्होंने उपकर के रूप में एक प्रश राशि 53,200 रुपए चुकाई थी।
जबकि डीआईसी में प्रस्तुत प्रोजेक्ट रिपोर्ट में लागत 1,30,68,000 रुपए बताई गई। सब्सिडी के रूप में करीब 50 लाख रुपए क्लेम करने की योजना थी। मामला उजागर होने के बाद माया देवी ने अब 77 लाख की लागत दिखाते हुए 77 हजार रुपए का सेस चुकाया है। हैरत की बात यह है कि पूर्व में बताए 53.20 लाख और वर्तमान में बताए 77 लाख को जोडऩे पर डीआईसी में बताई गई लागत 1.30 लाख के तकरीबन बराबर राशि होती है। महालक्ष्मी राइस मिल से उत्पादन 12 अप्रैल 2023 से होना दिखाया जा रहा है।
होनी चाहिए एफआईआर
कई फर्मों ने ऐसा कारनामा किया है। हैरानी की बात है कि चार्टर्ड एकाउंटेंट और एजेंटों के कारनामे की भनक तक विभाग को नहीं थी। आवेदन के साथ शपथ पत्र भी दिया जाता है। जबकि खुद संचालक और सीए ही झूठी जानकारी देते हैं। इस मामले में कूटरचना का मामला बनता है क्योंकि यह जानबूझकर किया गया है। सरकार से सब्सिडी के रूप में करोड़ों रुपए गबन किए जा चुके होंगे।
