इतने लंबे समय तक कोई रिपोर्ट ही तैयार नहीं, कई सरकारी अफसर और नगरसेठ हैं खरीदार, महाजेंको की भूमिका पर भी सवाल
रायगढ़। तमनार में महाजेंको के कोल ब्लॉक जमीन घोटाले में कहने को जांच के आदेश दिए गए हैं। नौ दिन चले अढ़ाई कोस की तर्ज पर हो रही जांच कब पूरी होगी, यह सवाल है। अधिग्रहित की जाने वाली भूमि पर सैकड़ों की संख्या में पोल्ट्री फार्म खुल गए हैं। अधिकारी न तो निर्माण रोक पा रहे हैं, और न जिम्मेदारों के नाम उजागर कर पा रहे हैं। भ्रष्टाचार का दीमक रायगढ़ जिले को पूरी तरह खोखला कर चुका है। यहां का सरकारी सिस्टम पस्त हो चुका है। तमनार में महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को गारे पेलमा सेक्टर-2 कोल ब्लॉक आवंटित हुआ था। कोयला खदान के लिए तमनार के 14 गांवों में भू-अर्जन होना है।
प्रारंभिक अधिसूचना प्रकाशन के बाद भी 14 गांवों में जमीनों की टुकड़ों में खरीदी-बिक्री और नामांतरण होता रहा। घरघोड़ा और तमनार के तत्कालीन राजस्व अधिकारियों ने खुद भी जमीनों के सौदे करवाए। एक जमीन को दस टुकड़ों में बांटकर बेचा गया। इस पर कहीं पोल्ट्री फार्म तो कहीं कॉम्पलेक्स बना दिए गए हैं। खेतों के बीच पोल्ट्री फार्म का शेड बना दिया गया ताकि मुआवजे की गणना निर्माण के लिए अलग से हो। कलेक्टर रानू साहू ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। उसके बाद घरघोड़ा एसडीएम ने जांच भी शुरू की। ऐसा दिखाया गया जैसे बहुत ही गंभीरता से जांच हो रही है और जिम्मेदारों के नाम जल्द ही सामने आएंगे। बताया जा रहा है कि तीन महीने से चल रही जांच अंतिम चरण में है। 14 गांवों में से 5 गांव ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा रजिस्ट्रियां हुई हैं। पूर्व एसडीएम से अनुमति लेकर टुकड़ों में रजिस्ट्रियां करवाई गई हैं।
कई अफसरों की फंसेगी गर्दन
सूत्रों के मुताबिक 14 गांवों में कई अधिकारियों ने जमीनें खरीदकर निवेश किया है। इसका नामांतरण भी हो चुका है। जांच में इन अधिकारियों के नाम सामने आ चुके हैं। इसीलिए जांच को पूरा नहीं किया जा रहा है। कई नेताओं और नगरसेठों ने भी जमीनों के टुकड़े खरीदे हैं। प्रवर्तन निदेशालय की जांच महाजेंको मामले में भी होनी चाहिए ताकि ब्लैक मनी का एक और सिंडीकेट सामने आए।
हर नामांतरण के लिए फिक्स थी राशि
यह भी जानकारी मिली है कि रजिस्ट्री से नामांतरण तक हर प्रक्रिया के लिए रकम तय थी। सारी रजिस्ट्रियों के नामांतरण तमनार के तीन तहसीलदारों ने धड़ाधड़ किए हैं। इतनी तेजी से किसी सामान्य केस में नामांतरण नहीं किए जाते जितनी तेजी से 14 गांवों में किए गए। जांच करने में अब अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं।
