रायगढ़। महिला व बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए बनाया गया सौ बिस्तरों वाला मदर्स एंड चाइल्ड हॉस्पीटल में मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पहले तो वहां तक पहुंचने के लिए उन्हें मशक्कत करनी पड़ती है और पहुंचने के बाद इलाज के लिए ३ से ४ मंजिला बिल्डिंग चढऩा पड़ता है क्योगंकि यहां का लिफ्ट पिछले डेढ़-दो माह से खराब पड़ा हुआ है जिसे सुधार करने की दिशा में प्रबंधन कोई प्रयास नहीं कर रहा।
केजीएच में बढ़ते मरीजों के दबाव को कम करने और मातृ-शिशु रोग के मरीजों को बेहतर इलाज के उद्देश्य से ही शहर से दूर एकताल रोड पर स्वास्थ्य विभाग ने सौ बिस्तरों वाले मदर्स एंड चाइल्ड हॉस्पीटल का निर्माण कराया है। कोरोना संकट खत्म होने के बाद इस साल से यहां मरीजों का इलाज भी शुरू हो गया है। रोज यहां प्रसव के लिए महिलायें पहुंच रही हैं मगर उन्हें वार्ड तक पहुंचने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, यह बिल्डिंग ४ मंजिला है और ऊपरी मंजिल पर भी वार्ड हैं। हालांकि बिल्डिंग बनाते समय इस बात का पूरा ख्याल रखा गया था और मरीजों की सुविधा के लिए लिफ्ट सुविधा भी प्रदान की गई थी मगर पिछले डेढ़-दो महीने से यहां की लिफ्ट अचानक से खराब हो गयी है जिसके बाद यहां पहुंचने वाले मरीज अपने परिजनों के सहारे सीढ़ी व रैम्प में चढ़कर अपने वार्ड तक जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
कभी-कभी तो यहां स्ट्रेटर पर मरीजों को लेकर ऊपरी मंजिल पर जाने की स्थिति बन जाती है। ऐसे में समझा जा सकता है कि इलाज से पहले मरीज व उसके परिजनों की क्या हालत होती होगी। ऐसा नहीं है कि लिफ्ट खराब होने की जानकारी अस्पताल प्रबंधन को नहीं है, उन्हें सब कुछ पता है, बावजूद इसके अब तक इसके सुधार की दिशा में अब तक कोई प्रयास होता नजर नहीं आ रहे हैं।
इसलिए नहीं हो रहा विरोध
दरअसल, एमसीएच में प्रसव के लिए अधिकांशत: ग्रामीण अंचल से मरीज पहुंचते हैं। उन्हें यहां असुविधा का तो सामना करना पड़ता है मगर ग्रामीण इलाके के होने के कारण वे इसका विरोध नहीं कर सकते और प्रबंधन के समक्ष अपनी समस्या को नहीं रख पाते। यही वजह है कि ऐसे में प्रबंधन भी मरीजों की सुविधा के लिए बने लिफ्ट के सुधार कार्य पर ध्यान नहीं दे रहा है।
