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Home | Raigarh News : हो सकता है भूस्खलन, बच्चों की जिंदगी खतरे में, पटवारी ने प्रतिवेदन में पहाड़ और बड़े-बड़े पत्थरों की दी थी जानकारी, सवालों के घेरे में उन्नायक सेवा समिति के संचालक

Raigarh News : हो सकता है भूस्खलन, बच्चों की जिंदगी खतरे में, पटवारी ने प्रतिवेदन में पहाड़ और बड़े-बड़े पत्थरों की दी थी जानकारी, सवालों के घेरे में उन्नायक सेवा समिति के संचालक

रायगढ़। समाजसेवी संस्था ने पहाड़ के ऊपर जमीन लेकर बच्चों की जिंदगी खतरे में डाल दी है। आवंटन के पूर्व प्रतिवेदन में पटवारी ने साफ लिखा है कि मौके पर पहाड़ और बड़े बोल्डर हैं। अब वहां अनाथ और दिव्यांग बच्चों के लिए छात्रावास, स्कूल आदि का निर्माण किया जाना है। पहाड़ की कटाई इतनी हो चुकी है कि आने वाले दिनों में भूस्खलन होने का खतरा है। न सड़क, न पानी, न समतल जमीन फिर भी एक समाजसेवी संस्था उन्नायक सेवा समिति ने अद्भुत जगह पर जमीन आवंटित करा ली।

उन्नायक सेवा समिति ने दिव्यांगों, अनाथों, अभ्यर्पित, परित्यक्ता, एकल अभिभावक वाले सुरक्षा व संरक्षण के जरूरतमंद बालक-बालिकाओं के लिए विद्यालय, छात्रावास, अस्पताल, खेल मैदान, पार्क आदि निर्माण के लिए बेंद्राचुआं पहनं 38 के शासकीय भूमि खसरा नंबर 18 रकबा 0.991 हे. का आवंटित करने की मांग की थी। 30 साल के लिए जमीन लीज पर देने का आदेश भी कर दिया गया लेकिन न तो मौके की सही जानकारी ली गई और न ही पटवारी प्रतिवेदन पर गंभीरता दिखाई गई। यह जमीन कोई सामान्य समतल भूमि नहीं है। आवंटन के पूर्व पटवारी ने प्रतिवेदन में लिखा है कि यहां पहाड़, छोटे झाड़ और बड़े-बड़े पत्थर हैं।

पहाड़ के ऊपर कई बोल्डर हैं जो मिट्टी क्षरण के साथ नीचे लुढ़क सकते हैं। संस्था प्रमुख एसएस मोहंती ने जेसीबी लगाकर पहाड़ को कटवा दिया है। अब वहां से भूमि का क्षरण तेजी से होने वाला है। करीब डेढ़ सौ मीटर लंबाई में पहाड़ को काट दिया गया है। आने वाले समय में यहां कोई निर्माण किया जाता है तो बच्चों का जीवन खतरे में होगा। कभी भी भूस्खलन हो सकता है। बच्चों के साथ नीचे बस्ती के मकानों के लिए भी खतरा होगा। इस बारे में आवंटन के समय नहीं सोचा गया।

वहीं जमीन लेने की जिद पड़ेगी भारी
उन्नायक सेवा समिति के संचालक ने उसी खसरा नंबर की जमीन ही मांगी जबकि रायगढ़ शहर के आसपास कई जगहों पर आसानी से समतल जमीन मिल सकती थी। उस जगह तक पहुंचने के लिए न तो चौड़ी सड़क है और न ही वहां पानी की उपलब्धता है। अब भूस्खलन का खतरा हो गया है।

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