रायगढ़, 01 सितंबर। बीजेपी इस मर्तबे लैलूंगा विधानसभा सीट पर पुराने अथवा परंपरागत चेहरों पर दांव नहीं लगाएगी। संगठन जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नए व साफ-सुथरी छवि के नेता को चुनाव में उतारेगी। भाजपा नेतृत्व की मंशा है कि लैलूंगा क्षेत्र के किसी शख्स को उम्मीदवार बनाया जाए क्योंकि पिछले 30 वर्षों में संगठन ने लैलूंगा अंचल के किसी नेता को उम्मीदवार नहीं बनाया है और लैलूंगा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। लैलूंगा में बात नहीं मानने पर मजबूरीवश तमनार विकास खण्ड से भी बीजेपी प्रयोग कर सकती है। इस लिहाज से जिन संभावित उम्मीदवारों की चर्चा है, उनमें श्रीमती स्नेहलता सिदार श्रीमती लोकेश्वरी सिदार, जिला पंचायत सदस्य कुंवर देवेन्द्र प्रताप सिंह व अमलसाय राठिया के नाम शामिल हैं।












वर्ष 2003 से वर्ष 2023 तक याने 20 बरस लैलूंगा विधानसभा सीट की भाजपा सियासत पर सत्यानंद राठिया – श्रीमती सुनीति राठिया का आभामंडल हावी रहा है मगर अब लैलूंगा विधानसभा सीट में राठिया परिवार की बादशाहत खत्म होने वाली है। ऐसा हम बिल्कुल नहीं कह रहे हैं, बल्कि प्रदेश भाजपा नेतृत्व से ऐसे लगातार संकेत मिल रहे हैं। भाजपा, संघ, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर ने अब तक जो सर्वे कराए हैं उन तमाम सर्वेक्षणों में स्नेहलता सिदार, लोकेश्वरी सिदार व देवेन्द्र प्रताप सिंह के नाम कॉमन हैं। स्नेहलता सिदार छत्तीसगढ़-ओड़िशा के सरहदी गांव टपरिया की रहने वाली हैं और उनके पति शासकीय अधिकारी हैं।





वहीं श्रीमती लोकेश्वरी सिदार पूर्व विधायक स्व. प्रेम सिंह सिदार की सुपुत्री हैं। लोकेश्वरी का गृह ग्राम कुंजेमुरा है। इसलिये लैलूंगा – तमनार के चुनावी संतुलन के नजरिए से लोकेश्वरी पार्टी की हर कसौटी पर खरा उतरती हैं। वहीं एक अन्य प्रभावशाली दावेदार देवेन्द्र प्रताप सिंह के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता है। जिला पंचायत सदस्य देवेन्द्र बाबा के शांत व सौम्य व्यवहार के उनके विरोधी भी कायल हैं। वे छत्तीसगढ़ महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष उर्वशीदेवी सिंह के छोटे भाई हैं। वहीं उनके पिता स्व. सुरेन्द्र कुमार सिंह 20 वर्षों से अधिक समय तक लैलूंगा के विधायक रह चुके हैं। इसलिए लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र से देवेन्द्र का शुरू से आत्मीय लगाव रहा है। दूसरी ओर पिछले कुछ दिनों से भाजपा के वरिष्ठ नेता अमलसाय राठिया भी लगातार जोर आजमाईश में व्यस्त हैं।



