रायगढ़, 21 फरवरी। श्रम विभाग में एक कमाल की जानकारी सामने आ रही है। विभाग में प्रसूति सहायता देने के लिए फंड नहीं होने के कारण करीब 300 हितग्राहियों के नाम पंजीयन सूची से उड़ा दिए। जबकि ऐसा करने का कोई निर्देश ही नहीं था। अब इसे वापस जोड़ा जाना संभव नहीं हो रहा है। इन सभी को सहायता राशि नहीं मिलेगी क्योंकि वित्तीय वर्ष समाप्त हो जाएगा। श्रम विभाग की कार्यशैली के कारण 300 से ज्यादा महिलाओं को प्रसूति सहायता नहीं मिल सकेगी। राज्य सरकार ने ठेका श्रमिक, घरेलू महिला कामगार, हमाल श्रमिक और महिला असंगठित कर्मकार के लिए प्रसूत सहायता योजना लागू की है। इसके तहत महिलाओं को 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है ताकि शिशु के जन्म तक उन्हें आर्थिक मदद मिल सके। श्रम विभाग के मुताबिक वर्ष 22-23 में 2704 असंगठित कर्मकारों को करीब 4.91 करोड़ रुपए की सहायता राशि दी जा चुकी है।
दरअसल, श्रम विभाग में पंजीकृत सभी असंगठित कर्मकारों में से ही प्रसूति सहायता दी जानी है। इसके लिए स्वलिखित घोषणा पत्र, आधार कार्ड आदि की जरूरत होती है। पता चला है कि राज्य से फंड नहीं मिलने की वजह बताकर करीब 300 हितग्राहियों के नाम काट दिए गए। ऑनलाइन सूची से नाम डिलीट होने के बाद दोबारा वही नाम जुड़वाना मुश्किल होता है। अब इन नामों को जोडऩे के लिए पत्राचार किया जा रहा है। श्रम विभाग की लापरवाही के कारण जरूरतमंद असंगठित कर्मकार प्रसूताओं को सहायता राशि नहीं मिल सकेगी। अगर उनके नाम नहीं काटे जाते तो फंड मिलने में आसानी होती।
ऑनलाइन एंट्री के हिसाब से ही शासन फंड जारी करता है। अब जो नाम डिलीट हो चुके हैं, उनको कैसे सहायता मिलेगी। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक ऑनलाइन एंट्री के बाद अभी भी 500 हितग्राहियों के नाम लंबित सूची में हैं। इन्हें सहायता राशि नहीं मिली है। सूत्रों के मुताबिक पंजीयन और सत्यापन की प्रक्रिया बेहद लचीली है। मॉनिटरिंग के अभाव के कारण ऐसी महिलाओं को भी सहायता मिल जाती है जो असंगठित कर्मकार की श्रेणी में आती हैं।
क्या कहते हैं सरोदे
कुछ महिला हितग्राहियों के नाम प्रसूति सहायता सूची से डिलीट किए गए थे। अब वापस से जोडऩे के लिए शासन को पत्र लिख रहे हैं : विकास सरोदे, सहायक श्रमायुक्त
