कुल्दा माइंस से तमनार प्लांट तक बनाना है कन्वेयर बेल्ट, एनजीटी ने दिया आदेश, रायगढ़ के प्लांटों को कोयला परिवहन के दौरान ओडिशा 14 गांवों में प्रदूषण और जानलेवा ट्रैफिक
रायगढ़। ओड़िशा के कुल्दा कोल माइंस से रायगढ़ के कई प्लांटों तक कोयला परिवहन का मामला एनजीटी में चल रहा है। ट्रिब्यूनल ने इस मामले में एक अहम आदेश जारी किया है। स्टेटस कमेटी की रिपोर्ट और बैठक में लिए निर्णय के आधार पर एनजीटी ने कहा है कि जल्द से जल्द रोड का निर्माण हो। साथ ही कुल्दा से जेपीएल तक कन्वेयर बेल्ट के निर्माण के लिए जेपीएल एक्शन प्लान प्रस्तुत करे।
ओडिशा के कुल्दा माइंस और दो अन्य खदानों से जिंदल पावर लिमिटेड तमनार समेत अन्य प्लांटों तक कोयला परिवहन सडक़ मार्ग से हो रहा है। रास्ते में आने वाले ओडिशा के 14 गांव इससे त्रस्त हैं। एनजीटी ने ज्वाइंट कमेटी बनाकर जांच करने का आदेश दिया था। कमेटी की रिपोर्ट भी दाखिल की गई और छग-ओडिशा के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सदस्य, सुंदरगढ़ व रायगढ़ कलेक्टर समेत कई अधिकारियों और प्लांट प्रबंधनों की बैठक ली गई थी। कमेटी की रिपोर्ट से पता चला कि कुल्दा, गर्जनबहाल और बसुंधरा माइंस से 50 प्रश से अधिक कोयला अकेले जेपीएल ले जाता है। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की कुल्दा माइंस के क्षमता वृद्धि की अनुमति के साथ यह शर्त थी कि कोयले का परिवहन रेल रूट से होगा। साथ ही जेपीएल को भी कुल्दा से प्लांट तक कन्वेयर बेल्ट निर्माण की शर्त थी जिसे पूरा नहीं किया गया। ओडिशा के चीफ सेक्रेटरी ने जेपीएल को चार महीने में एक्शन प्लान बनाने का आदेश दिया था।
दोनों राज्य उठाएंगे रोड का खर्च
एनजीटी ने 14 जनवरी को दिए आदेश में कहा है कि इस रूट से कोयला परिवहन के कारण करीब 19 किमी रोड की हालत बेहद खराब है। रोज तकरीबन दो सौ डंपर इस रूट पर चलते हैं। इससे 14 गांवों के 15 हजार लोगों का जीवन नारकीय बन चुका है। एनजीटी ने चार महीने में रोड निर्माण करने का आदेश दिया है। इसका खर्च ओडिशा और छग दोनों राज्यों को उठाना पड़ेगा। यह राशि संबंधित कंपनियों से वसूले जाने का भी निर्देश दिया है।
अगली सुनवाई में बुलाया मुख्य सचिवों को
एनजीटी ने आदेश में कहा है कि इतने समय में रोड का निर्माण तक नहीं किया गया। पर्यावरणीय शर्तों के उल्लंघन पर छग और ओडिशा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को क्षतिपूर्ति अधिरोपित करने का भी आदेश दिया है। सडक़ निर्माण न होने की स्थिति में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत होना होगा। दोनों राज्यों के सदस्य सचिवों को भी अगल सुनवाई में उपस्थित होने का फरमान सुनाया गया है।
