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Home | चालीस बरस बाद भी पक्की सड़क से महरूम हैं जटियापाली के बाशिन्दे

चालीस बरस बाद भी पक्की सड़क से महरूम हैं जटियापाली के बाशिन्दे


सरिया। चालीस साल बाद भी पक्के सडक़ से महरूम है यह गांव. जर्जर सडक़ के कारण तकलीफें झेलने को मजबूर हैं जटियापाली के ग्रामीण. प्रशासन से गुहार लगाते थक चुके हैं ग्रामीण, बावजूद इसके अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया. बहरहाल, ग्रामीण अपने भाग्य को दोषी मान रहे हैं. विकासखंड बरमकेला एवं थाना क्षेत्र सरिया अंतर्गत ग्राम जटियापाली छत्तीसगढ़ सीमा का अंतिम गांव है. इसके बाद उड़ीसा राज्य प्रारंभ होता है. 40 साल बाद भी गांव जटियापाली में सडक़ की समस्या के कारण ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय से लेकर सदन तक के प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों से हम लोग गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने हमारी समस्या पर ध्यान नहीं दिया और हमें नारकीय जीवन जीने को मजबूर कर दिए. ग्राम जटियापाली, दर्राभाटा, बैंगिनडीह, अमोदा इन 4 ग्रामों के लोगों को आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

आवागमन की सुविधा ठीक ढंग से नहीं होने पर जहां किसान, व्यापारी, छात्र-छात्राएं सभी परेशान हैं. वहीं, बरसात के दिनों में तो इनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है. फिर भी यहां लोग शांतिपूर्ण ढंग से मूलभूत सुविधा की मांग शासन-प्रशासन से करते आ रहे हैं. ग्रामीण अब मजबूर होकर आंदोलन का सहारा लेने को बाध्य हैं. ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम जटियापाली की आबादी करीब 500 की है. यहां हम लोग बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं. हमारे यहां पेयजल की भी समस्या बनी हुई है. दूसरे गांव से पेयजल की आपूर्ति पंचायत द्वारा व्यवस्था के तहत की है. समस्या गंभीर है, लेकिन निराकरण करने वाले कोई नहीं है.हम लोग भी चाहते हैं कि हमारा भी विकास हो. हम लोग भी समाज के मुख्यधारा से जुडक़र कार्य करें, लेकिन मूलभूत सुविधा की व्यवस्था प्रशासन नहीं कर रही है तो हमारा विकास संभव कैसे होगा. इन समस्याओं को लेकर एक बार फिर हम लोग शासन प्रशासन से फरियाद कर रहे हैं और हमारी पुकार प्रशासन सुने और निराकरण करें.

आंदोलन के लिए बाध्य होंगे
ग्राम के उपसरपंच केदार प्रधान ने बताया कि हमारा ग्राम छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर पर पहाड़ के नीचे बसा हुआ है. यहां 40 साल से जर्जर कच्ची सडक़ पर आवागमन करने के लिए विवश हैं. कई बार शासन प्रशासन से गुहार लगा चुके.लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. अब हम मजबूर होकर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. इसके पहले प्रशासन हमारी समस्या की ओर ध्यान देकर समस्या समाधान करें.

रोटी बेटी के संबंध में हो रही है परेशानी
ग्राम जटियापाली के जागरूक नागरिक सत्यानंद डोंगरी ने बताया कि जर्जर सडक़ रोटी बेटी के संबंध जोडऩे में रोड़ा बन रहा है.यहां वैवाहिक रिश्ते बनाने के लिए आते तो हैं, लेकिन गांव की समस्या, सडक़ की समस्या को देखकर इरादा बदल देते हैं. इसका एकमात्र कारण गांव के मूलभूत समस्याओं पर है. यदि प्रशासन समस्या समाधान की ओर ध्यान नहीं दिया तो भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

पेयजल व सडक़ समस्या मुख्य है
ग्राम जटियापाली के मितानिन रीना डोंगरी ने बताया कि हमारे गांव जटियापाली में पेयजल की गंभीर समस्या के साथ सडक़ समस्या गंभीर बनी हुई है. पेयजल की आपूर्ति दूसरे गांव से हो रहा है. यहां के पानी पीने योग्य नहीं है तथा जल स्तर नीचे चला गया है. इस गंभीर समस्या से ग्राम जूझ रहा है. मैं मितानिन का कार्य करती हूं. समय-समय पर गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने में भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बरसात के समय की समस्या बहुत ज्यादा होती है. प्रशासन शीघ्र ही गांव की समस्या को दूर करें.

छात्र-छात्राओं को भी होती है परेशानी
ग्राम जटियापाली से रिसोरा मुख्य मार्ग पक्की सडक़ तक करीब 3 किलोमीटर की दूरी की सफर जर्जर सडक़ मार्ग पर करना पड़ता है, जिसके कारण स्कूली छात्र-छात्राओं सहित आम नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जान जोखिम में डालकर स्कूली छात्र-छात्राएं स्कूल पहुंचते हैं. हमें हमेशा डर लगा रहता है कि गांव के बच्चे सही सलामत स्कूल आना जाना कर पढ़ाई कार्य करेंगे. मैं शासन-प्रशासन से मुख्य मार्ग पक्की सडक़ से गांव जटियापाली तक पक्की सडक़ निर्माण की मांग करती हैं.
जान जोखिम में डालकर आवागमन करते हैं।

ग्राम दर्राभाटा के जागरूक नागरिक सनातन चौहान ने बताया कि रिसोरा मुख्य पक्की सडक़ से ग्राम दर्राभाटा बैगिनडीह, जटियापाली, अमोदा इन 4 गांवों के बाशिंदे जर्जर सडक़ से परेशान हैं. बरसात के समय हो या फिर गर्मी के समय 12 महीना जर्जर सडक़ से परेशानी होती है. कृषि कार्य, स्कूली छात्र छात्राओं, व्यापारियों, आम नागरिकों सब को समस्या है. इन समस्याओं पर जनप्रतिनिधियों की खामोशी और प्रशासन की मनमानी के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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