रायगढ़। शुक्रवार को गोंदिया-रायगढ़ जनशताब्दी एक्सप्रेस की हालत देखकर सभी हैरान रह गए। इस ट्रेन में बिलासपुर से रायगढ़ तक सफर करने वाले यात्रियों की संख्या नाम मात्र की थी। 20 बोगी की यह ट्रेन पूरी खाली थी। ऐसा नहीं की यात्रियों को इस ट्रेन में सफर करने से परहेज है बल्कि इसकी मूल वजह रही ट्रेन के 5 घंटे लेट होना। इससे न केवल यात्रियों को असुविधा हुई, बल्कि रेलवे को राजस्व का नुकसान हुआ है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में ट्रेनों के परिचालन का कोई समय नहीं है। मेल, आजाद हिंद, दुरंतो जैसी ट्रेनें चार से पांच घंटे विलंब से चल रही है। यह स्थिति किसी एक दिन की नहीं, बल्कि बीते कई महीनों से यही स्थिति पर। रेल प्रशासन इस व्यवस्था को चाहे तो सुधार सकती है। पर वह पहली प्राथमिकता मालगाड़ी को दे रहा है, जिसके चलते इन ट्रेनों को किसी भी स्टेशन में घंटों रोक दी जाती है। शुक्रवार को गोंदिया से रायगढ़ जाने वाली जनशताब्दी की यही स्थिति थी। रोजाना यात्रियों के सब्र का इम्तिहान लेने वाली यह ट्रेन शुक्रवा को पूरे 5 घंटे विलंब से अर्थात रात करीब 3 बजे यहां रायगढ़ पहुंची मगर जैसे ही यह ट्रेन रायगढ़ के प्लेटफार्म नंबर 3 पर रूकी तो नजारा देखकर सभी दंग रह गए क्योंकि ट्रेन की बोगियां पूरी तरह खाली की खाली थी।
मुश्किल से 5 से 10 की संख्या में ही यात्री उतरे। एक यात्री ने बताया कि यह ट्रेन बिलासपुर ही ५ घंटे लेट से पहुंची थी। शाम 7.35 बजे बिलासपुर पहुंचकर 7.45 बजे रवाना वाली एक्सप्रेस रात 12.52 बजे प्लेटफार्म पर पहुंची। चूंकि बिलासपुर में प्लेटफार्म ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों के अलावा अन्य रेल कर्मचारियों को ट्रेनों की जांच करनी पड़ती है, जांच वहां से रायगढ़ आने के लिए मात्र 3 यात्री थे। बाकी पूरी ट्रेन के कोच खाली थे। चूंकि परिचालन करना अनिवार्य होता है। इसलिए इस स्थिति में ही ट्रेन को खाली-खाली रायगढ़ के लिए रवाना कर दिया।
यात्री सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं
जनशताब्दी एक्सप्रेस की यह स्थिति अभी की नहीं है बल्कि करीब 6 महीने से इसकी चाल ऐसी ही बनी हुई है। रोजाना यह ट्रेन कभी रात 1 तो कभी 2 बजे यहां पहुंचती है। ट्रेन की इसी लेटलतीफी से यात्री इतने परेशान हो चुके हैं कि अब वे इस ट्रेन से सफर करने के नाम से कतराने लगे हैं। खासकर अकेली महिला, युवती या फिर परिवार वाले तो रिजर्वेशन होने के बावजूद ट्रेन की लेटलतीफी देखकर दूसरे विकल्प पर ही सफर करना मुनासिब समझते हैं क्योंकि देर रात को स्टेशन पहुंचने के बाद अपने गंतव्यों तक पहुंचना भी मुश्किल होता है। रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य भी कई बार इस समस्या को लेकर अधिकारियों को पत्राचार कर चुके हैं। बावजूद इसके रेलवे है कि उसे यात्री सुविधाओं को लेकर कोई मतलब नहीं है।
