Skip to content
Home | Raigarh News : उद्योग को नहीं देना है पानी इसलिए मंजूरी में देरी

Raigarh News : उद्योग को नहीं देना है पानी इसलिए मंजूरी में देरी

जल जीवन मिशन में मल्टीविलेज प्रोजेक्ट को लेकर मिशन संचालक की कार्यवाही बेहद धीमी, छह में से एक का भी काम प्रारंभ नहीं

रायगढ़। जब किसी उद्योग को पानी बेचना होता है तो सरकार तत्काल फाईल बनाकर अनुमोदन कर देती है। वही पानी अगर आम जनता तक पहुंचाने का काम हो तो फिर मंजूरी में ही साल-दो साल लग जाते हैं। जल जीवन मिशन में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। मिशन संचालक ने दो साल में मल्टीविलेज स्कीम प्रोजेक्टों को लटकाए रखा। अभी तक एक भी प्रोजेक्ट में काम प्रारंभ नहीं हुआ है।

रायगढ़ और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में ऐसे कई गांव हैं जहां भू-जल स्तर बेहद नीचे है। ऐसे गांवों का समूह बनाकर मल्टीविलेज प्रोजेक्ट बनाया गया है। रायगढ़ के भेलवाटिकरा-संबलपुरी समूह (29 गांव), पुसौर के कलमा-कोड़ातराई समूह(48 गांव), सारंगढ़ के भद्रा-रीवापार समूह (84 गांव), घौठला छोटे-हरदी समूह (69 गांव), बरमकेला के बरगांव-कंचनपुर समूह (102 गांव) और तमनार समूह (54 गांव) योजना का डीपीआर तैयार किया गया था। इसकी मंजूरी के लिए फाइल भेजी तो गई लेकिन अनुमोदन में महीनों लगा दिए गए। इन छह प्रोजेक्ट की लागत करीब 787 करोड़ रुपए है। केलो डैम, कलमा बैराज, मिरौनी बैराज और साराडीह बैराज से पानी की आपूर्ति इन 384 गांवों में होनी है। मिशन संचालक जल जीवन मिशन की लेटलतीफी के कारण एक भी काम प्रारंभ नहीं हो सका है। तकनीकी स्वीकृति और प्रशासकीय स्वीकृति के बाद टेंडर लगता है। छह योजनाओं में अभी मंजूरी ही मिली है।

कैसे पूरी होगी योजना
छग में केंद्र प्रवर्तित योजनाओं का बुरा हाल है। पहले पीएम आवास योजना से मिलने वाले लाभ को जनता तक पहुंचने से रोका गया। जब हंगामा हुआ तो सरकार ने फंड रिलीज किया। अब जल जीवन मिशन को लेकर भी ऐसा ही रवैया देखा जा रहा है। ऐसे-ऐसे ठेकेदारों को काम दिया गया है जिनको अनुभव ही नहीं है। इस वजह से काम की गुणवत्ता खराब हो रही है।