महाजेंको के कोल ब्लॉक और रेल लाइन के भू-अर्जन सीमा में बन रही इमारतें, मुआवजा और पुनर्वास की मोटी रकम पाने साजिश जारी
रायगढ़। भले ही कलेक्टर ने तमनार के 14 गांवों में हुई जमीनों की अवैध खरीदी-बिक्री की जांच के आदेश दिए हों लेकिन इससे अवैध निर्माण करने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ा। प्रतिबंधित क्षेत्र में अभी भी निर्माण कार्य चल रहे हैं। खेतों के बीच शेड और मकान बनाए जा रहे हैं।
महाजेंको को कोयला खदान आवंटित होने के बाद ही कंपनी ने 14 गांवों में जमीनों की टुकड़ों में खरीदी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। उप पंजीयक को रजिस्ट्री पर रोक लगाने का भी आदेश दिया गया था। लेकिन तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल की अनुमति से जमीनों की छोटे टुकड़ों में बिक्री नकल जारी किए गए। पटवारियों ने भी हर बिक्री नकल का रेट फिक्स किया था। रजिस्ट्री के बाद तमनार तहसीलदार ने नामांतरण भी किया। किसी भी अधिकारी ने इसे रोकने की कोशिश नहीं की। जमीने लेने वाले ज्यादातर रायगढ़ के नगरसेठ और सरकारी अधिकारी थे।
अब उन जमीनों पर बड़े-बड़े भवन बन चुके हैं। खेतों के बीच में पोल्ट्री फार्म के शेड बना दिए गए। खाली भूमि और निर्माण का अलग-अलग दर पर मुआवजा बनता है इसलिए जमीनों में करोड़ों रुपए इन्वेस्ट कर दिए। कलेक्टर रानू साहू ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। इस जांच का उन पर कोई असर नहीं पड़ा जो अवैध निर्माण करवा रहे थे। अभी भी ऐसे काम चल रहे हैं। रोड किनारे खेतों को पाटकर मकान और दुकान बनाए जा रहे हैं। ज्यादातर जमीनें बाहर के लोगों ने खरीदी हैं। कुंजेमुरा, मुड़ागांव, पाता, गारे, रोडोपाली, डोलेसरा और बांधापाली में निर्माण चल ही रहे हैं।
सब कुछ सेटिंग में हो जाएगा
जिन बाहरियों ने जमीनें खरीदकर निर्माण करवाए हैं, उनको पूरा यकीन है कि सरकार कुछ नहीं करेगी। कुछ अफसर भी जांच को प्रभावित कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने भी जमीनें खरीदी हैं। जांच की गति देखकर उन्हें लगता है कि सब कुछ सेटिंग में हो जाएगा। इसीलिए जो निर्माण नहीं कर सके थे, अब काम शुरू कर रहे हैं। सडक़ किनारे मटेरियल डंप किए जा रहे हैं। खेतों में मुरूम पाटकर समतल किया जा रहा है।






