रायगढ़। रायगढ़ जिले में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर है। इसका परीक्षण करने के लिए कोई विस्तृत सर्वे नहीं हुआ है। एनजीटी के निर्देश पर छग पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कई बड़े संस्थानों को घरघोड़ा और तमनार के कैरिंग कैपेसिटी सर्वे का प्रस्ताव दिया था। अंत में आईआईटी भिलाई को काम दिया गया, लेकिन अभी तक सर्वे का कुछ पता नहीं।
एनजीटी में शिवपाल भगत व अन्य ने अपील दायर की थी जिसमें तमनार और घरघोड़ा क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण का मुद्दा उठाया था। इस मामले में एनजीटी ने सुनवाई के दौरान इन्वायरमेंट कैरिंग कैपेसिटी सर्वे करने का आदेश दिया था। इसके लिए पहले नीरी नागपुर को अधिकृत किया जाना था। छग पर्यावरण संरक्षण मंडल ने नीरी के अलावा मैनिट भोपाल, आईआईटी बॉम्बे, ईआरआई पुणे को प्रस्ताव दिया था।
तीन महीने में सर्वे करके रिपोर्ट दी जानी थी। नीरी ने दो साल सर्वे करने और उसके लिए लाखों रुपए का बजट भी मांगा। ज्यादा खर्च और लंबी अवधि के कारण सर्वे का काम आईआईटी खडग़पुर और आईआईटी भिलाई को दिया। भिलाई के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रवेश चंद्र शुक्ला ने सर्वेके लिए डाटा जुटाने का काम शुरू किया था। सीईसीबी ने कार्यादेश में कहा है कि जो डाटा पहले से मौजूद है, उसके आधार पर तीन महीने में रिपोर्ट देनी है। सीईसीबी ने आईआईटी भिलाई के असिस्टेंट प्रोफेसर मैकेनिकल इंजीनियरिंग पीसी शुक्ला को सर्वे का काम सौंपा है। इस सर्वे से तय होगा कि तमनार और घरघोड़ा क्षेत्र में नए उद्योग लगेंगे या नहीं।
उद्योगों के डाटा से होगा सर्वे
सीईसीबी ने सर्वे के लिए उद्योगों में लगे मानिटरिंग सिस्टम के आंकड़ों को आधार बनाने का निर्देश दिया है। तमनार व घरघोड़ा में प्लांट और कोल माइंस में लगे सिस्टम के डाटा से रिपोर्ट बनाया जाएगा। 23 मई 2022 को आदेश दिया जा चुका है लेकिन पांच महीने बीतने के बाद भी सर्वे नहीं हुआ।
