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सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीव्ही वैक्सीन है जरूरी – डॉ. सुरभि सैनी

रायगढ़। जिले के सुप्रसिद्ध हॉस्पिटल श्री बालाजी मेट्रो हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरभि सैनी ने सर्वाइकल कैंसर के बारे में जानकारी देते हुए से बताया कि हमारे देश में कैंसर से पीड़ित महिलाओं में सबसे ज्यादा संख्या सर्वाइकल कैंसर के मरीज हैं। दुनिया में सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौत की शिकार होने वाली हर चार में से एक महिला भारतीय है। सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स में होता है। सर्विक्स यूट्रस का मुख होता है और यह यूट्रस को वेजाइना से जोड़ता है। जल्दी सेक्सुअल एक्टिविटीज की शुरुआत होने, हाई प्रियॉरिटी (20 हफ्ते के जेस्टेशन पीरियड वाली 5 से ज्यादा प्रेग्नेंसीज), एक से ज्यादा पार्टनर के साथ रिलेशन्स, ज्यादा तंबाकू खाने या स्मोकिंग करने, एचआईवी पीड़ित से संक्रमण के कारण महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। यह कैंसर दो तरह का होता है, एक तो स्क्वेमस सेल का और दूसरा अडेनोकारसीनोमा (Adenocarcinoma) का। यह ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपी व्ही) Human Papillomavirus (HPV) की वजह से होता है।

एचपीव्ही इंफेक्शन से संक्रमित होने का खतरा होता है ज्यादा

आज तक 100 तरह के एचपीव्ही वायरस का पता लगाया जा चुका है। इनमें से 15 ऑनकोजेनिक Oncogenic (ट्यूमर फैलाने वाले) होते हैं, जिसका अर्थ ये है कि इनसे कैंसर हो सकता है। एचपीव्ही के 16, 18, 31, 33 और 45 टाइप्स लगभग 90 फीसदी सर्वाइकल कैंसर के मामलों के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये वायरस फिजिकल एक्विटिविटी के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जा सकते हैं। संक्रमित पार्टनर की त्वचा या फिर उनके जेनिटल (प्रजनन अंग) के संपर्क में आने पर एचपीव्ही संक्रमण का खतरा होता है। एक पार्टनर से सर्वाइकल एचपीव्ही इनफेक्शन (Cervical HPV infection) होने का खतरा 46 फीसदी तक होता है। कंडोम का इस्तेमाल करने के बावजूद एचपीव्ही इनफेक्शन से बचाव संभव नहीं है। इसीलिए हर महिला को अपने जीवनकाल में एचपीव्ही वायरस से संक्रमित होने का खतरा 80 फीसदी तक होता है। युवा महिलाएं एचपीवी से होने वाले इन्फेक्शन को खुद की रोग निरोधक प्रक्रिया से खत्म करने में सक्षम होती है। कई बार एचपीव्ही इन्फेक्शन का असर जल्दी खत्म हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में ठीक ना हो पाने और कई साल तक बने रहने पर यह सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकता है। एचपीव्ही 6 और 11 जैसे वायरस से संक्रमित होने पर जेनिटल वार्ट्स (Genital warts) (Genital पर फोड़े जैसे उभार, जो सेक्सुअल इंटिमेसी के दौरान होते हैं) की आशंका हो सकती है।
ये इन्फेक्शन गंभीर नहीं होते और इनसे ट्यूमर होने का खतरा नहीं होता। ये अनोजेनिटल वार्ट्स (Anogenital warts) खतरनाक नहीं होते, लेकिन इनसे संक्रमण तेजी से फैलता है। एचपीव्ही से होने वाले कैंसर ना सिर्फ स्त्रियों में बल्कि पुरुषों में भी पाए जाते हैं।

एचपीव्ही इंफेक्शन से बचाव के लिए वैक्सीन अच्छा विकल्प

कुछ एचपीव्ही इनफेक्शन से वजिनल, वुल्वार अनाल और ओरोफरीनजीअल कैंसर है (Vaginal, Vulvar, Anal और Oropharyngeal Cancer) होने की आशंका हो सकती है। कई देशों में एचपीव्ही इनफेक्शन नियमित रूप से ऑफर किये जाते हैं, ताकि भविष्य में सर्वाइकल और अन्य कैंसर से बचाव किया जा सके। वैक्सिनेशन के बाद शरीर में एचपीव्ही के खिलाफ हाई लेवल वाली एंटीबॉडीज बन जाती हैं। ये एंटी बॉडीज शरीर में प्रवेश करने वाले एचपीव्ही वायरस से चिपक जाती हैं, ताकि वह होस्ट सेल में प्रवेश ना कर सकें। एचपीव्ही वैक्सीन लेने की सही उम्र 9-14 साल के बीच है, यह वैक्सीन जितनी जल्दी लग जाती है, शरीर में उतनी ही यंग एज में एंटी बॉडीज बनने लगती हैं। एचपीव्ही वैक्सीन 9-14 साल की उम्र में लड़के और लड़कियों दोनों को दी जाती है। यह दो चरणों में दी जाती है। यदि वैक्सीन मिस हो गई है तो 15-26 के उम्र वर्ग वालों को यह 3 चरणों में दी जाती है। आदर्श रूप में पहले चरण की वैक्सीन लगने के 1-2 महीने बाद दूसरे चरण की वैक्सीन लग जानी चाहिए।वहीं तीसरे चरण का डोज पहले चरण के डोज से 6 महीने के अंतर पर दिया जाता है।

45 साल की उम्र तक लगवाई जा सकती है वैक्सीन

सेक्सुअल एक्टिविटी शुरू होने के पहले एचपीव्ही वैक्सीन लगाना सबसे ज्यादा असरदार है फिर भी 45 साल की उम्र तक इसे लगाया जा सकता है हालांकि पूरी तरह सुरक्षा नहीं मिलती किंतु कुछ सुरक्षा जरूर मिलती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जिन महिलाओं में एचपीव्ही संक्रमण पहले ही हो चुका है, उनका वैक्सीन से इलाज संभव नहीं हो पाता। साथ ही वैक्सीन से सभी प्रकार के एचपीव्ही इन्फेक्शन से भी सुरक्षा नहीं मिल पाती. यह सभी तरह के सर्वाइकल कैंसर से बचाव करने में सक्षम नहीं है। पर अन्य कैंसर जैसे एनल कैंसर और जेनिटल वार्ट्स से बचाव होता है। आमतौर पर एचपीव्ही वैक्सीन सुरक्षित होती हैं और इन्हें लगवाने पर बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होती। कुछ मामलों में बुखार, बेचैनी, इंजेक्शन वाली जगह लाल हो जाने या दर्द होने जैसी स्थितियां हो सकती हैं।

एचपीव्ही वैक्सीन के साथ पॉप स्मेर्स (Pap Smears) टेस्ट भी है जरूरी

एचपीव्ही वैक्सीन लगवाने का अर्थ ये नहीं है कि आपको नियमित रूप से कराये जाने वाले पॉप स्मेर्स (PAP Smears) टेस्ट, जिससे सर्वाइकल कैंसर की शुरुआती जांच संभव हो पाती है, की जरूरत नहीं है। अगर इसकी समय से जांच हो जाए, तो कर्विस कैंसर (Cervix Cancer) का असरदार तरीके से इलाज संभव है लेकिन इलाज कराने की तुलना में सावधानी बरतना कहीं बेहतर है। 21 साल की उम्र के बाद सभी सेक्सुली एक 2 महिलाओं को हर 3 साल में पॉप स्मेर्स टेस्ट (PAP Smears) कराना चाहिए। साथ में कंडोम का उचित इस्तेमाल इस तरह से संक्रमण को कम करने में सहायक है। 9-14 साल के उम्र के लड़के और लड़कियों को एचपीव्ही वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर और कुछ अन्य कैंसर को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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