रायगढ़। जिले की प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई है। कस्टम मिलिंग में अच्छी क्वालिटी का चावल जमा करने के बाद भी कई मिलर कष्ट पा रहे हैं। अब मामला भारतीय खाद्य निगम का है, जहां कठिन एज टेस्ट के बाद ही मिलरों का चावल लिया गया है। बताया जा रहा है कि राइस मिलरों के बिल पास करने के नाम पर कुछ लोग वसूली कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने पीडीएस सिस्टम में अब केवल फोर्टिफाइड राइस ही बांटने के आदेश दिए हैं। एफसीआई और नान दोनों में यही चावल जमा हो रहा है। गरीबों को सेहतमंद बनाने के लिए ही यह चावल वितरित किया जा रहा है।












वर्ष 21-22 में एफसीआई में जमा हुए एफआरके राइस के बिल पास कराने के लिए अब मिलरों की सेहत खराब हो रही है। बिल पास करने के एवज में कमीशनखोरी का एक रैकेट चल रहा है। एफसीआई के अधिकारियों की आड़ लेकर कुछ लोग वसूली सिंडीकेट चला रहे हैं। अब तक फोर्टिफाइड चावल खरीदी के लिए कोई बंधन नहीं था। राइस मिलर कहीं से भी इसकी खरीदी कर सकता है। हाल ही में एक आदेश निकाला गया कि राइस मिलरों केवल अपने ही जिलों से फोर्टिफाइड राइस खरीदने की अनुमति है। इस आदेश के बाद फोर्टिफाइड राइस की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो गई। इस बढ़ी हुई कीमत से भी कमीशन वसूला जाने लगा। बाद में मिलरों के विरोध के बाद इसे वापस लिया गया है।





क्यों रोका है मिलरों का भुगतान
वर्ष 2021-22 में ज्यादातर मिलर चावल जमा कर चुके हैं। लेकिन एफसीआई में उनके बिल आसानी से पास नहीं हो रहे हैं। राईस मिलर्स के करोड़ों रुपए का भुगतान एफसीआई के अफसरों ने रोक रखा है। बताया जा रहा है कि भुगतान की मांग करने पर मिलरों से प्रति किलो कमीशन मांगा जा रहा है। एक समानांतर व्यवस्था बनाकर वसूली की जा रही है। जिला प्रशासन के समक्ष भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।



