अम्बिकापुर। आपने लोगों को अलग-अलग चीजों से धुन निकालते हुए देखा होगा। बर्तनों से धुन निकाला जा सकता है पत्थरों से धुन निकाला जा सकता है। लकड़ी से धुन निकाला जा सकता है। यहां तक कि प्लास्टिक के बने वस्तुओं से भी धुन निकाला जा सकता है. अगर हम आपको बताएं कि किसी चट्टान से बर्तनों जैसी धुन निकलती है तो इस बात पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल होगा। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर दरिमा हवाई पट्टी के पास छिंदकोला नामक एक गांव हैं।
जहां कुछ चट्टानों का समूह है और उन चट्टानों में एक ऐसा चट्टान है, जिससे अलग-अलग धातुओं की आवाजें आती है। इस चट्टान को यहां के लोग ठिनठिनी पत्थर कहते हैं। यह स्थल सरगुजा का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। यहां दूर-दूर से लोग इस चट्टान को बजाकर इससे धुन निकालने के लिए आते हैं। पर्यटन स्थल की देखरेख करने वाले रामप्रसाद ने हमें इस पत्थर से अलग-अलग धातुओं की धुन निकालकर सुनाई. और इस पत्थर के इतिहास के बारे में भी एक कहानी बताई।

राम प्रसाद का कहना है कि राजा दशरथ के समय एक मुनि हुआ करते थे जिन्हें श्राप दिया गया और वह इस चट्टान में तब्दील हो गए। 6 फ़ीट का यह चट्टान रहस्यमयी है. इस चट्टान को कई लोगों ने उठाने की कोशिश की जेसीबी से उठाया और अन्य तरीकों से इस चट्टान को हिलाने की कोशिश की गई लेकिन इसे कोई ना उठा सका।
इस पत्थर से अलग-अलग धातुओं की आवाजें क्यों आती है, यह अब तक एक रहस्य ही बना हुआ है। राम प्रसाद ने बताया कि इस पर्यटन स्थल पर दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां तक कि विदेशों से भी कई लोग इस पत्थर को देखने आते हैं। यहां घंटों बिता कर पत्थर से अलग अलग धुन निकालकर संगीत का आनंद लेते हैं।कहीं पत्थर के किसी हिस्से पर दूसरे छोटे पत्थर पर वार करने से उसमें स्कूल की घंटी की तरह आवाज आती है, कहीं पर पीतल के बर्तन के तरह, तो कहीं पर कांस्य के बर्तन की तरह आवाज आती है। पत्थर के किसी हिस्से में मोटे बर्तन की आवाज आती है, तो कुछ ऐसा भी हिस्सा है जहां से पतली आवाज निकलती है।
जिस पत्थर से धातुओं की आवाज आती है वह पत्थर वहां मौजूद अन्य पत्थरों से रंग में भी अलग है। ग्रामीण पत्थर को देवता मानते हैं और इसे पूजते हैं। गांव वाले पत्थर को देवी-देवता से जोड़कर इसे एक चमत्कारी पत्थर बताते हैं। इस पत्थर से कई तरह के धातुओं की आवाज आने के पीछे का वास्तविक कारण क्या है इस पर अभी तक शोध चल ही रहा है। पत्थर किसी धातु की तरह आवाज क्यों निकालता है, ये आज भी रहस्य बना हुआ है।

शोध में लगे हैं विशेषज्ञ
इस रहस्मयी पत्थर को लेकर रिटायर्ड शिक्षक श्रीश मिश्रा शोध कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की जो चीज है, वो अम्बिकापुर में ठिनठिनी पत्थर है। जब ये चीजें गांव वालों की समझ में नहीं आती, तब वो उसको किसी न किसी कहानी से जोड़ देते हैं या किसी देवी-देवताओं से जोड़ देते हैं। इसके पीछे मकसद एक सामान्य जानकारी ही देना रहता है कि कोई पूछेगा तो क्या हम क्या बताएंगे। ऐसे में कोई बुजुर्ग या गांव का कोई होशियार आदमी होता है तो वो कोई न कोई कहानी गढ़ देता है। ये चीज लगभग हर जगह लागू होती है। उन्होंने बताया कि यदि इसे साइंटिफिक अप्रोच से देखें तो इस तरह के पत्थर छत्तीसगढ़ में सिर्फ यहीं है। बाकी जो ठोंकने पर आवाज आती है तो इस तरह के पत्थर साउथ इंडिया में कई जगह मिलते हैं, पूरी दुनिया में हैं। वास्तव में ये ज्वालामुखी से निकला जो लावा होता है, वो होते हैं। इसमें जो आवाज आती है, वो आवाज आने का कारण हाई डेंसिटी है।

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