रायगढ़। ग्रेड में हेराफेरी, सुरक्षा मानकों की अनदेखी, अव्यवस्था जैसी समस्याएं एसईसीएल की जामपाली खदान में सामान्य हैं। कई तरह की शिकायतें आने के बाद विजिलेंस की टीम ने भी माइंस का जायजा लिया है। बताया जा रहा है कि विजिलेंस टीम के दौरे के बाद जीएम ने जामपाली का सिस्टम पूरी तरह बदलने की तैयारी कर ली है। इससे कुछ कोल माफिया चिंतित हो गए हैं।
एसईसीएल रायगढ़ क्षेत्र में सबसे ज्यादा विवाद जामपाली खदान में होते हैं। बीते दिनों कोयला डिस्पैच के दौरान ग्रेड में हेराफेरी के मामले सामने आए। इसके अलावा कोयला उठाव के लिए ट्रेडर्स के बीच चाकूबाजी भी हुई। माइंस के अंदर संसाधनों का सही तरीके से विकास नहीं हो पाया। कुछ खदान के अधिकारी और कुछ माफिया ही व्यवस्था दुरुस्त करने के पक्ष में नहीं थे। हाल ही में विजिलेंस की टीम ने माइंस में कई प्वाइंट पर व्यवस्था दुरुस्त करने की सलाह दी थी। इस पर अमल प्रारंभ हो गया है। जामपाली से जी-10, जी-12 और जी-15 तीन ग्रेड का उत्पादन होता है।
तीनों ग्रेड के स्टॉक प्वाइंट अलग-अलग हैं। अब तक इन स्टॉक तक लोडिंग के लिए जाने वाली गाडिय़ों का एक ही रूट था। अब जी-10 और जी-12 के स्टॉक तक वन वे की तरह रूट डेवलप किया जाएगा ताकि जो गाड़ी इधर जाए, वह अलग से पहचान की जा सके। बूम बैरियर की संख्या भी बढ़ाई जाएगी ताकि सबकुछ ऑनलाइन हो। जामपाली में ऐसे कई प्वाइंट हैं, जहां पर नजर रखी जानी जरूरी है। इन जगहों पर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे बढ़ाए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक नवपदस्थ जीएम हेमंत पांडे ने सब एरिया मैनेजर एके चौबे समेत दूसरे अधिकारियों को कोई गड़बड़ी न करने की हिदायत दी है।
सब कुछ होगा ऑनलाईन
जामपाली माइंस के इंटरनल सिस्टम को भी पूरी तरह ऑनलाइन करने की योजना बनाई जा रही है। कोई भी गाड़ी बिना चिप के अंदर नहीं जा सकेगी। ग्रेड की हेराफेरी रोकने के लिए अब जी-10 और जी-12 का प्रोडक्शन रोक दिया जाएगा। केवल जी-15 ग्रेड का ही उत्पादन और डिस्पैच होगा। यह भी कहा जा रहा है कि जनवरी के बाद वित्तीय वर्ष 22-23 के उत्पादन को लक्ष्य पूरा हो जाएगा। इसके बाद सिर्फ डिस्पैच ही होगा। जामपाली माइंस का उत्पादन लक्ष्य 30 लाख टन प्रतिवर्ष है।
