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Raigarh News : जमीन दलालों की चौखट पर सरकारी सिस्टम नीलाम.. जानिए मामला.. पढ़िए पूरी खबर

महाजेंको के कोल ब्लॉक के लिए भू-अर्जन घोटाले में लिप्त नगरसेठों, अफसरों और पटवारियों का बाल तक बांका नहीं, सरकार की मंशा पर उठे सवाल

रायगढ़। जिस सरकारी सिस्टम के भरोसे आम आदमी न्याय की दुहाई देता है, वह अब दलालों और नगरसेठों की चौखट पर नीलाम हो चुकी है। किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता कि कहां, कितनी लूट मची हुई है। महाजेंको मामला इसका उदाहरण है जिसमें जमीन दलालों ने टुकड़ों में रजिस्ट्रियां करवाईं। निवेश करने वाले रायगढ़ शहर के नगरसेठ और कई सरकारी अधिकारी- कर्मचारी हैं। तमनार में महाजेंको के कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर-2 के लिए 14 गांवों में भू-अर्जन किया जाना है। कोल मिनिस्ट्री द्वारा आवंटन आदेश जारी करने के पांच साल बाद कलेक्टर रायगढ़ ने जमीन खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था। मतलब किसी खसरा नंबर की पूरी जमीन बेची जा सकती थी लेकिन टुकड़ों में नहीं।

तत्कालीन, तहसीलदार, एसडीएम आदि से सांठगांठ कर जमीन दलालों ने जमकर अवैध खरीदी-बिक्री को अंजाम दिया। रोड़ोपाली, मुड़ागांव, पाता, गारे, झिंकाबहाल, टिहलीरामपुर, लिबरा, डोलेसरा, ढोलनारा, चितवाही, सरसमाल, कुंजेमुरा, भालूमुड़ा और सराईपाली में जमीन अधिग्रहण होना है। टुकड़ों में रजिस्ट्री पर प्रतिबंध के बावजूद बिक्री नकल जारी किए गए। रजिस्ट्रियां भी हुई और तहसीलदार ने नामांतरण भी किए। जिले के कई व्यापारियों ने भी जमीनें खरीदी। कई आला अफसरों ने अपने परिजनों के नाम पर जमीनों की रजिस्ट्रिशं करवाई। पूरा खेल 2018 से 2022 के बीच हुआ। सरकारी सिस्टम जमीन दलालों के इशारों पर नाच रहा था। जिस जमीन के टुकड़े करने होते, आसानी से सबकुछ सेट कर लिया जाता।

जांच का क्या हुआ, कुछ नहीं पता
मामले की जांच का आदेश कलेक्टर रानू साहू ने दिए थे। तब घरघोड़ा एसडीएम डिगेश पटेल थे। अब एसडीएम रोहित सिंह हैं। दो एसडीएम बदल गए लेकिन जांच का क्या हुआ कोई नहीं जानता। सूत्रों के मुताबिक अंदर ही अंदर दस्तावेज जुटाकर जांच की जा रही है लेकिन यह कब तक पूरी होगी नहीं मालूम। जिन पटवारियों और बाबूओं ने कारनामे को अंजाम दिया, वे अब भी अपनी कुर्सियों में जमे हुए हैं।

1500 करोड़ का नुकसान
छोटे टुकड़ों में जमीनें खरीदकर उनमें निर्माण कर लिए गए। जिले में उतने पोल्ट्री फार्म नहीं होंगे जितने तमनार के इन 14 गांवों में हैं। केवल महाजेंको नहीं बल्कि रेलवे की रेल लाइन में भी ऐसा ही कारनामा किया गया। छोटे टुकड़ों में जमीन का मुआवजा वर्गफुट की दर से मिलेगा क्योंकि उस पर निर्माण हो चुका है। इस वजह से महाजेंको को 500 करोड़ से अधिक का नुकसान होना तय है।

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