रायगढ़। नाबालिग बाला को दुल्हन बनाने का वादा कर आगरा में दैहिक शोषण करने के बाद उसे रायगढ़ रेलवे स्टेशन में छोड़ भागने वाले दगाबाज आशिक को फास्ट ट्रेक कोर्ट ने 10 साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 6 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित भी किया है। न्यायालय सूत्रों के मुताबिक पॉक्सो एक्ट की यह घटना शहर के कोतरा रोड थाना क्षेत्र की है। मूलतः डभरा थानांतर्गत ग्राम कोटमी निवासी सुनील सिदार पिता चैन सिंह सिदार (21 वर्ष) ने कोतरा रोड़ थाना क्षेत्र की एक नाबालिग बालिका को पहले अपने प्रेमजाल में फंसा लिया और बाद में उसे शादी करने का झांसा देने लगा।
ऐसे में विगत 18 अक्टूबर की सुबह दुकान जाने निकली किशोरी अचानक गायब हो गई। फिक्रमंद परिजनों ने आसपास काफी खोजबीन की, मगर सफलता हाथ नहीं लगने पर उन्होंने थक हारकर थाने की शरण ली थी। वहीं, सुनील अपनी नाबालिग प्रेमिका को रायगढ़ से आगरा के ईट भट्ठा ले गया और उसकी आबरू से खेलता रहा। सुनील का मन जब भर गया तो एक महीने के बाद वह नाबालिग को लेकर रायगढ़ आया और रेल्वे स्टेशन में ही छोड़कर नौ दो ग्यारह हो गया। ऐसे में लव, सैक्स और धोखा की शिकार हुई किशोरी ने फिर परिजनों को आपबीती बताई तो मामला थाने पहुंचा। पीड़िता के पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने सुनील सिदार के खिलाफ धारा 363, 366, 376 और लैंगिंग अपराधों से बालकों का संरक्षरण अधिनियम की धारा 6 के तहत अपराध पंजीबद्ध करते हुए उसे गिरफ्तार कर केस डायरी न्यायालय में पेश किया।
फास्ट ट्रैक कोर्ट की विद्वान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्रीमती प्रतिभा वर्मा पॉक्सो एक्ट के इस संवेदनशील प्रकरण से जुड़े सभी पहलुओं, सबूतों और दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आरोपी सिद्ध होने पर आरोपी को धारा 363, 366 एवं अधिनियम की धारा 4 ( 1 ) संहिता की धारा 376 के तहत 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 6 हजार रुपए के अर्थदंड से दण्डित भी किया। अर्थदंड की राशि नियत समय मे चुकता नहीं होने पर मुल्जिम को 6 महीने का अतिरिक्त कारावास भी भुगतना होगा । इस केस में शासन की तरफ से विशेष लोक अभियोजक मोहन सिंह ठाकुर ने पैरवी की।
