रायगढ़। ये चारों मामले बताते हैं कि किस तरह सहकारी समितियों को घपला करने का जरिया बना लिया। गबन का सीधा सा फार्मूला बन चुका है। पहले धान खरीदी में गड़बड़ी करो। फर्जी खरीदी करके कमाई की जाती है। फिर शॉर्टेज आता है तो खाद को नकद बेचकर भरपाई कर दी जाती है। एक सीजन के धान खरीदी की गड़बड़ी को छिपाने अगले खरीफ सत्र का खाद बेच दिया जाता है। फिर जब खाद की राशि वसूली होती है तो समिति धान कमीशन से कटवा ली जाती है। मतलब धान और खाद दोनों में प्रबंधक समेत पूरा संचालक मंडल मालामाल हो जाते हैं। इस काम में सभी विभाग मदद भी करते हैं। धान कमी को भरने के लिए समिति प्रबंधकों को खाद नकद बेचने की अनुमति दी जाती है। बोगस खरीदी को रोक पाने में नाकाम प्रशासन मजबूर हो चुका है।
केस एक – साल्हेओना
सहकारी समिति साल्हेओना में वर्ष 20-21 में पांच हजार क्विंटल धान से अधिक का शॉर्टेज आया। इसकी भरपाई के लिए 2021-22 के खरीफ सीजन के लिए आया खाद नकद में बेच दिया गया। प्रबंधक बंशीधर पटेल और संचालक मंडल ने मिलकर यह घपला किया। नियमत: किसान को खाद केवल ऋण के जरिए दिया जा सकता है। साल्हेओना में खाद व्यापारियों को बेच दिया गया। जब खाद का भौतिक सत्यापन हुआ तो पता चला कि 70,66,693 रुपए का खाद गायब है। अब समिति से इस खाद की भरपाई के लिए नोटिस दिया जा रहा है। अब वापस से धान खरीदी प्रारंभ हो गई है। सूत्रों के मुताबिक धान खरीदी में घपला करके खाद की राशि जमा की जाएगी। यहां एक तथाकथित पत्रकार इन सब काले कारनामों के एवज में वसूली कर संरक्षण प्रदान करने का दम भरता है।
केस दो- सरिया
वर्ष 19-20, 20-21 और 21-22 में सरिया समिति में भी घपला होता रहा। हर साल धान की गड़बड़ी को छिपाने खाद नकद बेचा जाता रहा। फिर खाद की भरपाई के लिए अगले साल धान की बोगस खरीदी की जाती रही। तीन सालों में सरिया समिति में करीब 65 लाख का गबन हो गया। ऑडिट रिपोर्ट में सहकारिता अधिकारी ने तथ्यों को छिपाया। यहां के प्रबंधक गोपाल प्रधान समेत अन्य कर्मचारी केशव सदावर्ती और तरुण प्रधान से रिकवरी होनी है। धान कमी को जीरो करने के लिए खाद को बाहर बेच दिया गया।
केस तीन- तेतला
धान और खाद में गड़बड़ी की जुगलबंदी तेतला में भी हो रही है। धान की कमी बहुत ज्यादा हो गई तो प्रबंधक विजय प्रधान ने खाद को नकद में व्यापारी व बड़े किसानों को बेच दिया। जब खाद का भौतिक सत्यापन हुआ तो 10,04,084 रुपए का खाद गायब मिला। अपेक्स बैंक ने इस राशि की रिकवरी की। यहां भी धान गड़बड़ी को छिपाने के लिए खाद को खुले बाजार में बेचा गया। इसमें समिति का नुकसान हुआ और व्यक्तिगत फायदा उठाया गया।
केस चार- पंचधार
पंचधार सहकारी समिति में भी कई सालों से इयी तरह का घपला चल रहा है। प्रबंधक सुरेश कुमार चौहान ने पहले धान खरीदी 2021 में गड़बड़ी की। धान उठाव के बाद भारी कमी हुई तो खाद नकद बेचकर मिली रकम से शॉर्टेज की भरपाई कर दी। अब अपेक्स बैंक ने पंचधर समिति में सुरेश चौहान से 23,28,288 रुपए की रिकवरी निकाली है। मतलब इतनी कीमत का खाद कहीं और बेच दिया गया। किसान को लोन में खाद मिलने के बजाय व्यापारी से खरीदना पड़ा। इस रकम की भरपाई के लिए अब इस साल धान खरीदी में गड़बड़ी की जा रही है।
कमाई प्रबंधक की, नुकसान समिति का
इस तरह की गड़बड़ी केवल दो-चार समितियों में नहीं बल्कि सभी में होती है। धान खरीदी में ही पंजीकृत रकबे पर ऑनलाइन धान चढ़ा दिया जाता है। आखिरी दिनों में उठाव के बाद यही धान शॉर्टेज के रूप में सामने आता है। फर्जी धान का समर्थन मूल्य भी मिलता है और कस्टम मिलिंग भी होती है। गड़बड़ी करने के बदले कमाई में प्रबंधक हिस्सेदार होता है। जब रिकवरी की जाती है तो समिति के कमीशन से कटौती होती है। इस तरह कमाई करने वाले बच जाते हैं और नुकसान संस्था का होता है।
