कौहाकुंडा में चल रहा बड़ा खेल, न नगर निगम को और न ही प्रशासन को फुरसत, स्थानीय पार्षद का दावा छह महीने पहले की है शिकायत
रायगढ़, 5 मार्च। जिस तेजी से शहर के कई वार्डोंे में नजूल जमीनें कब्जाने का खेल चल रहा है, एक साल के अंदर पूरी जमीनें अतिक्रमण की चपेट में होंगी। सबसे ज्यादा कौहाकुंडा वार्ड में यह काम चल रहा है। यहां पहले झोंपड़ी बनाकर कब्जा करवाया जाता है। फिर उसके चारों ओर की जमीन कब्जाकर मकान बना लिया जाता है। अभी भी यहां कम से कम 10 झोंपडिय़ां बन रही हैं। वहीं 30 से ज्यादा मकान पिछले एक साल में तैयार हुए हैं। कौहाकुंडा में करीब 25 एकड़ जमीन को अवैध कब्जा कर लिया गया है। स्थानीय पार्षद की चुप्पी के कारण कब्जे बढ़ते ही जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वोट बैंक बटोरने का यह एक तरीका है। बाहर से लोगों को पहले यहां एक अस्थाई झोंपड़ी बनाने को कहा जाता है। कुछ समय बाद इसके चारों ओर बाड़ी बना ली जाती है। फिर धीरे से बाड़ी में दीवारें खड़ी हो जाती हैं। अभी भी कई झोंपडिय़ां निर्माणधीन हैं।
एसबेस्टस शीट डालकर लोहे का एक दरवाजा ही लगाया गया है। 10 बाई 12 साइज की ये झोंपड़ी कब मकान का रूप ले लेती है किसी को पता नहीं चलता। कौहाकुंडा में रोड के दोनों ओर अंदर जाने के लिए रास्ता ही नहीं है लेकिन लोगों ने पक्के मकान बना लिए हैं। चार महीने पहले जिसके मकान के सामने की जमीन खाली थी, अब वहां भी बाउंड्रीवॉल बन चुकी है। धीरे-धीरे करके 20-25 एकड़ जमीन पर कब्जा हो चुका है। कौहाकुंडा में खसरा नंबर 47 रकबा 1.9270 हे., खनं 88/1 रकबा 1.3760 हे., खनं 90/3 रकबा 0.5630 हे., खनं 86/3 रकबा 0.4050, खनं 58/1/क रकबा 2.0720 हे., खनं 86/1 रकबा 3.5040 हे. समेत कई खसरा नंबरों में शासकीय जमीन बची ही नहीं है। पहले जो कब्जे हुए उसके बाद बाकी जमीन को बचाने की कोशिश भी नहीं की गई। अभी भी सरकारी जमीनों पर लगातार कब्जे हो रहे हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने खुद कब्जा करके मकान बनाया है और अब दूसरी जमीन को कब्जा करके बेच रहे हैं।
पंचायत ट्रेनिंग सेंटर तक होंगे कब्जे
कौहाकुंडा की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बेहद तेजी से हो रहे हैं। रसेज एक झोंपड़ी का निर्माण हो रहा है। पीछे की ओर पंचायत ट्रेनिंग सेंटर की बाउंड्रीवॉल से पहले सारी जमीन अवैध कब्जे की भेंट चढ़ रही है। अभी झोपडिय़ों का निर्माण उसी दिशा में होता जा रहा है। एक गली से दूसरी गली में जाने का रास्ता ही नहीं है। करीब पांच साल पहले तत्कालीन एसडीएम प्रकाश सर्वे और नजूल अधिकारी पीसी कोरी ने जहां अवैध कब्जे हटाने की कोशिश की थी, अब वहां पक्के मकान बन चुके हैं। लोगों ने मकान के सामने की जमीन पर भी कब्जा कर लिया है।
अवैध निर्माण पर निगम ने दिया नल कनेक्शन
हैरानी की बात यह है कि नगर निगम एक ओर अवैध कब्जों को हटाने की मुहिम चला रहे हैं, वहीं निगम के कर्मचारी अतिक्रमित भूमि पर बने मकानों को नल कनेक्शन दे रहे हैं। कौहाकुंडा में कई मकानों में नल कनेक्शन और मीटर लगाए गए हैं। बीते एक साल में यहां 50 से ज्यादा मकान बना जा चुके हैं।

मणिकंचन केंद्र जाने का रास्ता बंद
कचरा प्रबंधन के लिए नगर निगम ने यहां मणिकंचन केंद्र बनाया था। यहां कचरा तो एकत्र होता नहीं है। अब यह केंद्र शराबियों के लिए सुविधाजनक स्थान बन चुका है। मणिकंचन केंद्र की ओर जाने वाले रास्ते में दीवार खड़ी कर दी गई है। केंद्र के पीछे की जमीन पर भी प्लॉटिंग शुरू हो चुकी है। यहां भी नजूल जमीन को कब्जाया गया है।

निजी कॉलोनियों की शिकायत लेकिन अतिक्रमण पर खामोशी
वार्ड पार्षद सपना सिदार ने कुछ महीनों पहले तक निजी कॉलोनाइजरों के विरुद्ध शिकायत की थी। उसने अपने वार्ड में नजूल जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर भी छह महीने पहले शिकायत की है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब उसने भी चुप्पी साध ली है क्योंकि निगम इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। 20 एकड़ सरकारी जमीन पर तेजी से अतिक्रमण हो रहा है। बाकायदा सरकारी जमीनों के प्लॉट 4-5 लाख तक में बेचे जा रहे हैं।
क्या कहती हैं सपना
मैंंने कौहाकुंडा में नजूल जमीनों पर अतिक्रमण की छह महीने पहले शिकायत की थी लेकिन निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब तो और लोगों ने कब्जा कर लिया है। बंशी एन्क्लेव का सीमांकन सही तरीके से होगा तो पूरी बाउंड्रीवॉल टूट जाएगी।
– सपना सिदार, पार्षद
