30 बरसों से अनवरत जारी है असलम हुसैन की मां की भक्ति
रायगढ़। मां जगदंबा की पूजा करना या पूजन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोगी बनना सबके भाग्य में नहीं होता, जिन पर मां की कृपा हो, उन्हीं को यह सौभाग्य मिलता है। नवरात्र का पावन सप्ताह चल रहा है ऐसे में हर मोहल्ले, हर चौक-चौराहे में भव्य भव्य पंडाल में मां आज विराजेंगी, पूरे विधि-विधान से भक्तगण मां की पूजा पाठ में तल्लीन रहेंगे। सुख शांति, आरोग्य, धन धान्य, आपसी भाईचारे की पवित्र कामना से मां की पूजा की जाती है, इस सृष्टि का संचालन बिना शक्ति के संभव भी नहीं है।
आज मानव समाज जाती-पाती, हिन्दू-मुस्लिम, तेरा-मेरा जैसे भयंकर रोग से ग्रसित है ऐसे में विजयपुर दुर्गोत्सव समिति आपसी सद्भाव का अनुपम उदाहरण पेश कर रहा है। यहां की पूजा का प्रथम वर्ष 2013 में था जब यहां के पार्षद दीपक एक्का हुआ करते थे, जो ईसाई धर्म के अनुयायी है। ईसाई धर्म को मानने के बावजूद भी दीपक एक्का के सफल प्रयासों से यहां दुर्गा पूजा प्रारंभ हुई जो आज तक अनवरत जारी है। तीन वर्षों तक लगातार दीपक एक्का के प्रत्यक्ष प्रयासों से यहां की दुर्गा पूजा अनवरत जारी रही।
दीपक एक्का के साथ वाहिद अली ने भी पूरी ऊर्जा के साथ उनका साथ दिया। इसके बाद पूजन की जवाबदारी युवा तुर्क साजिद अहमद सिद्दीकी ने संभाली, जिन्होंने पूरे मनोयोग से पूजन को सफल बनाने के लिए अपना सर्वस्व लगाया। इनके साथ विजयपुर के अधिकांश युवा पूजन समिति में शामिल हुए, मुस्लिम धर्म को मानते हुए भी जिस श्रद्धा के साथ साजिद ने पूजा का भार उठाया उसकी प्रशंसा आज पूरे वार्ड में होती है। इस वर्ष युवाओं के आग्रह पर चक्रधर नगर दुर्गोत्सव समिति से पिछले 30 वर्षों से जुड़े वरिष्ठ एवं अनुभवी असलम हुसैन ने विजयपुर दुर्गा पूजा की जवाबदारी अपने कंधों में ले ली है।
इनके अनुभव का लाभ लेते हुए इस वर्ष यहां की पूजा को और अधिक भव्यता देने में समिति के सभी सदस्य लगे हुए है, दुर्गा पूजा के आयोजन को लेकर आयोजित प्रथम बैठक में ही असलम हुसैन ने पूजा में सभी वर्गों को जोड़ते हुए, मातृशक्ति को चंदे से लेकर साज सज्जा एवं प्रसाद व्यवस्था तक के कार्यक्रमों में प्रत्यक्ष रूप से जोड़ दिया। मुस्लिम समाज से होते हुए भी असलम हुसैन की गिनती रायगढ़ में सामाजिक एकता के ध्वज वाहक के रूप में होती है।
चक्रधर नगर दुर्गोत्सव समिति में पिछले तीस वर्षों से सक्रिय रूप से अपनी भूमिका अदा कर रहें है, उनके व्यक्तित्व से कभी भी धार्मिक कट्टरता का बोध नहीं हुआ बल्कि जिस श्रद्धा भाव से ये मैया की पूजा पाठ में शामिल होते है वो प्रशंसनीय है। असलम हुसैन के निर्देशन में इस वर्ष विजयपुर में पूजा में बच्चों के लिए भी खेलकूद के कार्यक्रम रखे गए है ताकि उन्हें भी अभी से धार्मिक माहौल में उचित मार्ग दिखाया जा सके। ईश्वर एक है हम ही अपने स्वार्थवश इसे हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई में बांट रखे है।
ऊपर वाला तो अपने आशीर्वाद और करुणा बरसाने के लिए हम में कभी फर्क नहीं करता। फिर हम क्यों बेवजह इस धार्मिक कटुता में पडक़र अपनेे संबंधों को खराब कर लेते है।आइये हम सभी मिलकर माता रानी से सभी के कल्याण की कामना करें एवं हमारी धरा को धार्मिक एकता से सराबोर रखें।
