रायगढ़। इस बार धान खरीदी में सरकार ने एक नया सिस्टम लागू कर दिया है। अब किसान खुद अपने लिए टोकन जारी कर सकेगा। एंड्रॉइड फोनधारक किसान के लिए यह सुविधा होगी। एनआईसी द्वारा विकसित एप के जरिए किसान स्वयं ही तय तारीख का टोकन जारी कर सकेगा।
धान खरीदी प्रक्रिया में लूपहोल्स को बंद किए बिना ही सरकार अब एक नए मोबाइल एप पर काम कर रही है। एनआईसी की टीम ने किसानों के लिए टोकन तुंहर हाथ के नाम से एक एप विकसित किया है। पंजीकृत किसानों को धान बेचने के लिए सुविधा बढ़ाने के उद्देश्य से टोकन तुंहर हाथ एंड्रॉइड ऐप विकसित किया गया है। इसकी सहायता से प्रत्येक किसान संबंधित उपार्जन केंद्र में स्वयं के द्वारा निर्धारित तिथि में धान विक्रय का टोकन प्राप्त कर सकता है। किसान को टोकन समिति के दैनिक लिमिट के अनुसार ही जारी होगा। इसकी प्रक्रिया थोड़ी कठिन है लेकिन जो किसान मोबाईल फ्रेंडली हैं, उनके लिए यह आसान होगा। धान खरीदी के दौरान केंद्रों में टोकन काटने के लिए लंबी लाईन लग जाती है।
इस एप के जरिए किसानों को अब लंबी लाईन में लगने से मुक्ति मिल सकती है। समिति कर्मचारीयों के लिए भी यह राहत भरी खबर है। टोकन जारी होने वाली अनियमितता से भी बचा जा सकता है। प्रतिदिन की लिमिट पूरी होने के बाद किसान अगर टोकन के लिए ऐप का उपयोग करता है तो उसे दूसरे दिन का टोकन लेना होगा। इस ऐप में भी किसान अधिकतम 3 टोकन ही जारी कर सकेंगे। इसमें निरस्त होने वाले टोकन की संख्या भी शामिल होगी। किसान को समिति में दर्ज किसान की जानकारी, भूमि रकबा, बैंक खाता, टोकन एवं धान खरीदी की सभी जानकारी भी मिलेगी। धान खरीदी को आसान बनाने के लिए सरकार ने यह एप लागू किया है। सभी किसान इस एप का उपयोग कर सकेंगे, इसमें संदेह है। लेकिन कुछ हद तक केंद्रों में भीड़ से बचा जा सकेगा।
यह हैं नियम
इस ऐप के जरिए पहली बार किसानों को स्वयं ही अपना टोकन काटने की अनुमति दी जा रही है। एक किसान का अधिकतम 3 टोकन होगा। धान की मात्रा 40 किलो प्रति बोरा के अनुपात में प्रविष्ट होगा। नया टोकन रविवार से शुक्रवार तक सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक काटा जा सकेगा। बैंक खाता सत्यापित नहीं हुए किसानों का टोकन जारी नहीं होगा। लोन खाता सत्यापित नहीं हुआ है तो भी टोकन नहीं मिलेगा। एक दिन में एक ही टोकन मिलेगा। लंबित टोकन का निराकरण होने पर ही नए की प्रक्रिया होगी। किसान को समिति के पंजीयन क्रमांक के आधार पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है।
पुरानी गफलत कब ठीक करेगा एनआईसी
किसान पंजीयन में गांवों की मैपिंग करने में हो रही परेशानी अब तक ठीक नहीं हो सकी है। एनआईसी रायपुर में बैठे वैज्ञानिकों ने किसान पंजीयन व्यवस्था का बेड़ा गर्क कर दिया है। किसी गांव का डाटा दूसरे समिति में दिखा रहा है। किसानों की जानकारी भी आपस में उलझ गई है। इसे अब तक ठीक नहीं किया जा सका है। अब किसान टोकन तुंहर हाथ एप लॉन्च कर दिया गया है। खरीदी शुरू होने के पांच दिन पहले किसान इस एप को कैसे समझेंगे।
