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Home | Raigarh News : किसी को मिला 20 हजार क्विंटल तो कोई अब तक बैरंग, कस्टम मिलिंग में भेदभावपूर्ण नीति, राइस मिलरों ने की जबर्दस्त सेटिंग, NIC से त्रुटिपूर्ण DO जारी

Raigarh News : किसी को मिला 20 हजार क्विंटल तो कोई अब तक बैरंग, कस्टम मिलिंग में भेदभावपूर्ण नीति, राइस मिलरों ने की जबर्दस्त सेटिंग, NIC से त्रुटिपूर्ण DO जारी

रायगढ़। कस्टम मिलिंग शुरू होते ही सांठगांठ शुरू हो चुकी है। अब तक कटे डीओ को देखकर लगता है कि कुछ राईस मिलरों ने एनआईसी और मार्कफेड में तगड़ी सेटिंग की है। तभी तो एक राइस मिल का 20 हजार क्विंटल का डीओ रिक्वेस्ट लिया गया है जबकि दस मिलरों का खाता भी नहीं खुला है।

पिछले दो सालों से धान खरीदी और कस्टम मिलिंग का सिस्टम खराब हो है। जिस मिलर की सेटिंग है, उसे भरपूर चुका फायदा पहुंचाया जाता है और जिस मिलर की पहुंच नहीं, उसकी ओर देखा भी नहीं जाता। कुछ मिलरों को ही फायदा पहुंचाने के कारण पूरी व्यवस्था बर्बाद हो चुकी है। इस बार भी कुछ ऐसा ही है। मिलरों को मिले डीओ को देखकर इसकी पुष्टि भी हो जाती है। मार्कफेड ने एनआईसी के जरिए ऐसी सेटिंग कर रखी है। वर्ष 22- 23 में अब तक करीब 3.25 लाख क्विंटल के डीओ जारी हो चुके हैं। 100 पंजीकृत मिलरों में सभी को थोड़े-बहुत अंतर के साथ धान मिलना था। लिस्ट देखने पर लगता है कि टॉप टेन मिलरों ने एनआईसी में जरूर कोई बड़ी सेटिंग की है। सबसे ज्यादा धान 23 हजार क्विंटल जीआर चावल उद्योग को मिला है। इसी तरह शोभा राइस मिल को 15 हजार क्विं., सांई राम राइस मिल को 13 हजार क्विं. और जीटी राइस मिल को 11 हजार क्विं. धान मिला है। वहीं दस ऐसे मिलर हैं जिनको एक दाना धान नहीं मिला है। मिलरों में भारी असंतोष है। सौ में से केवल 21 मिलर ऐसे हैं जिन्हें पांच हजार क्विं. से अधिक धान उठाव का डीओ मिला है।

मिलिंग में गड़बड़ी का कारण भी यही
कस्टम मिलिंग में एनआईसी की सेटिंग के कारण कई छोटे मिलर नुकसान उठाते हैं। बड़े मिलर तो सेटिंग कर धान ले लेते हैं लेकिन दूसरे मिलर ऐसा कर पाते। यही कारण है कि समय पर धान उठाव नहीं किया जाता। इस साल तो 12 मिलरों ने 20 करोड़ का धान गबन कर दिया है। डीओ रिक्वेस्ट लगाने के बावजूद धान नहीं मिल रहा है।