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Raigarh News : हाउसिंग बोर्ड ने की रॉयल्टी क्लीयरेंस में गड़बड़ी

खनिज अधिकारी ने लौटाई फाइल, बिना टीपी के उपयोग किए गए मटेरियल की केवल रॉयल्टी काटकर भेजी राशि

रायगढ़। रॉयल्टी क्लीयरेंस के प्रावधानों को लेकर राज्य शासन ने अधिसूचना भी प्रकाशित की है लेकिन विभाग अब भी सोए हुए हैं। हाउसिंग बोर्ड ईई ने भी ऐसे ही एक ठेकेदार से केवल रॉयल्टी काटकर फाइल खनिज विभाग को भेज दी लेकिन खनिज अधिकारी ने अधिसूचना का हवाला देते हुए फाइल जस की तस लौटा दी।

सरकारी निर्माण कार्यों में ठेकेदारों को उपयोग की गई गिट्टी, रेत और अन्य गौण खनिजों का रॉयल्टी क्लीयरेंस देना पड़ता है। इसके बाद ही बिल भुगतान होता है। ऐसा प्रावधान नियमों में है। इसके लिए ठेकेदार को उपयोग की गई मात्रा के अभिवहन पत्र लेकर खनिज विभाग में आवेदन करना होता है। टीपी और खनिज की मात्रा की गणना कर खनिज विभाग उतने का रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट देता है। अगर ठेकेदार के पास टीपी नहीं है तो संबंधित विभाग को गौण खनिज का बाजार मूल्य काटकर रखना होता है जो रॉयल्टी से करीब तीन गुना होता है। लेकिन निर्माण विभागों के अधिकारी ठेकेदारों सेटिंग कर केवल रॉयल्टी काटकर रखते हैं।

ऐसा ही एक मामला अब खनिज विभाग में फंस गया है। खनिज अधिकारी योगेंद्र सिंह ने नियमों के तहत ही काम करने का हवाला देकर हाउसिंग बोर्ड की फाइल वापस कर दी है। मामला रायगढ़ के सभी ब्लॉक मुख्यालयों में सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए आवास बनाने का है। इसका ठेका रायपुर के ठेकेदार मोहन पोद्दार को दिया गया था। काम 30 जून 2021 में पूरा हो चुका है। ठेकेदार ने काम तो कर दिया लेकिन उपयोग किए गए मटेरियल की रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट ही प्रस्तुत नहीं किया। दरअसल ठेकेदार मोहन पोद्दार ने अवैध स्रोतों से प्राप्त खनिज का उपयोग किया। ठेकेदार को भुगतान करते समय हाउसिंग बोर्ड के ईई एसके शर्मा ने ध्यान ही नहीं दिया। उन्होंने गिट्टी की कुल मात्रा 6580.84 घन मीटर की रॉयल्टी 130 रुपए की दर से और रेत 25198.62 घन मीटर 50 रुपए की दर से काट ली। गिट्टी के 8,55,509 रुपए और रेत के 12,59,931 रुपए कुल 21,15,440 रुपए खनिज मद में रोककर चालान के माध्यम से जमा किया गया। 

बाजार मूल्य वसूल करें

इसके बाद ईई एसके शर्मा ने जानकारी देते हुए फाइल खनिज विभाग को भेज दी। खनिज अधिकारी योगेंद्र सिंह ने ईई को फाइल लौटा दी है। उन्होंने कहा है कि खनिजों के रॉयल्टी क्लीयरेंस नहीं देने पर रॉयल्टी नहीं बल्कि बाजार मूल्य काटा जाना है। इसलिए रॉयल्टी काटकर विभाग को प्रेषित न करें। ठेकेदारों को रॉयल्टी भुगतान प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए विधिवत आवेदन करने का आदेश दिया जाए। दरअसल रॉयल्टी वसूलने का वैधनिक अधिकार खनिज विभाग को ही है, किसी अन्य को नहीं। ऐसा करके दूसरे विभाग खनिज विभाग के कार्य में दखल दे रहे हैं।

गिट्टी की रॉयल्टी भी घन मीटर में

ईई हाउसिंग बोर्ड एसके शर्मा ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए ठेकेदार मोहन पोद्दार से गिट्टी कुल मात्रा 6580.84 घन मीटर की रॉयल्टी 130 रुपए की दर से वसूली है। जबकि गिट्टी की रॉयल्टी प्रति टन के हिसाब से आंकी जाती है। ठेकेदार को अवैध लाभ पहुंचाने की नीयत से केवल रॉयल्टी काटी गई। बाजार मूल्य काटी जाती तो रकम कहीं अधिक होती। गिट्टी का बाजार मूल्य करीब 400-450 रुपए प्रति टन और रेत का बाजार मूल्य करीब 250 रुपए प्रति घन मीटर माना जाता है। इस हिसाब से रेत का बाजार मूल्य करीब 62 लाख रुपए और गिट्टी का करीब दस लाख रुपए होता। लेकिन ईई ने केवल 21 लाख रुपए ही कटौती की।

क्या कहते हैं योगेन्द्र

हाउसिंग बोर्ड से अपने हिसाब से रॉयल्टी काटकर फाइल भेजी गई है। यह गलत है। अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है। कई बार खनिज विभाग ने इसकी जानकारी भी दी है। इसलिए विभाग को फाइल वापस कर बाजार मूल्य जमा कराने कहा गया है : योगेंद्र सिंह, खनिज अधिकारी

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