Skip to content

Home | डॉ. आर. एल. हॉस्पिटल में हुआ एंडोस्कोपी डिस्केक्टॉमी पद्धति से सफल ऑपरेशन

डॉ. आर. एल. हॉस्पिटल में हुआ एंडोस्कोपी डिस्केक्टॉमी पद्धति से सफल ऑपरेशन

रायगढ़। शहर का प्रसिद्ध आर.एल. हॉस्पिटल जिले के लोगो के लिए वरदान साबित हो रहा है। हॉस्पिटल डायरेक्टर एंव अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत के नेतृत्व में हॉस्पिटल प्रतिदिन सैकड़ो मरीजों का मानवीय सेवा भाव के साथ सफल इलाज किया जा रहा है इस बार फिर से डॉ. आर. हॉस्पिटल के अस्थि रोग विभाग ने कमर दर्द एंव दाहिने पैर के दर्द से पीड़ित महिला का सफल ऑपरेशन कर उसे नया जीवन दिया है।

मरीज की हिस्ट्री

विदित हो की 32 वर्षीय एक महिला कमर दर्द और दाहिने पैर के दर्द से पिछले आठ महीने से पीड़ित थी।  दर्द से निजात पाने के लिए पीड़ित महिला कई अस्पतालों के चक्कर काट चुकी थी। कई डाक्टरों से इलाज कराने के बाद भी राहत नहीं मिलने पर अंततः उसने डॉ. आर. हॉस्पिटल में डॉ. प्रशांत से मिलकर उन्हें अपनी समस्या से अवगत कराया। फिर क्या डॉ प्रशांत ने महिला का प्राथमिक उपचार करने के पश्चात उन्हें भर्ती होने की सलाह दी और बताया की एंडोस्कोपी डिस्केक्टॉमी पद्धति से इलाज होगा। महिला के सहमति मिलने के पश्चात डॉ. प्रशांत अग्रवाल ने ऑपरेशन की तैयारियां शुरू कर दी।

एंडोस्कोपी डिस्केक्टॉमी पद्धति से सफल इलाज

इस सम्बन्ध में डॉ. प्रशांत अग्रवाल ने बताया की मरीज कमर और पैर के दर्द से काफ़ी परेशान थी। भर्ती पश्चात् डॉ. हर्षित गोयनका (स्पेशलिस्ट स्पाइन सर्जन रायपुर) के साथ मिलकर एंडोस्कोपी डिस्केक्टॉमी पद्धति से मरीज का सफल ऑपरेशन कर उसे दर्द से छुटकारा दिलाया गया। ऑपरेशन पश्चात् महिला दूसरे दिन ही चलने फिरने में समर्थ हो गयी और उसे पूरी तरह दर्द से राहत मिल गया तथा तीसरे दिन महिला को जरूरी सलाह एवं दवाइयां के साथ अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

डॉक्टर हर्षित गोयनका एवं डॉ प्रशांत अग्रवाल ने महिला को किया स्वस्थ्य

क्या होता है एंडोस्कोपी डिस्केक्टॉमी

इस पद्धति द्वारा छोटे से छिद्र से एंडोस्कोपी दूरबीन पद्धति द्वारा रीड के हड्डी के बीच से डिस्क को निकाल दिया जाता है। डिस्क जो स्पाइन कोर्ड एंव नर्भ रूट को दबा कर दर्द क्रिएट करता है उसे निकालकर मरीज को दर्द से राहत दिलाया जाता है। इस पद्धति से बाकी मांसपेशियों एंव टिसु को किसी भी तरह से कोई नुकसान नहीं होता है और मरीज बहुत कम समय में रिकवरी होता है और रक्त स्त्राव भी नहीं होता है। इस पद्धति में मरीज को दो दिन से ज्यादा अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ता। यह सर्जरी को पुरानी पद्धति की तुलना में कम समय लगता है।

ऑपरेशन थिएटर में मरीज का इलाज करते हुए डॉक्टर