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वेंडरों से सेटिंग के बाद डीएमएफ करोड़ों हुए थे जारी, सारे काम रोके

कलेक्टर ने करीब 34 करोड़ की मंजूरी को अटकाया, सबकी उपयोगिता को लेकर उठे सवाल, कृषि विभाग को सबसे ज्यादा राशि

रायगढ़। डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। वर्ष 22-23 में डीएमएफ के कोटे की पूरी पहले दो महीनों में ही खर्च कर दी गई थी। बताया जा रहा है कि जिसमें कमीशन ज्यादा था, ऐसे काम फटाफट स्वीकृत किए गए थे। जब कलेक्टर रानू साहू ने कार्यभार संभाला तो डीएमएफ का खाता खाली दिखा। उन्होंने समीक्षा की तो कई संदेहास्पद कामों में करोड़ों रुपए का आवंटन पाया। ऐसे करीब 34 करोड़ के कामों को रोक दिया गया है। यही नहीं रकम भी संबंधित विभाग से वापस मंगवा ली गई है। डीएमएफ एक ऐसा सेक्शन है जिस पर कलेक्टर को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। खनन प्रभावित क्षेत्रों में कार्यों की स्वीकृति के लिए जनता को कलेक्टर की ओर देखना पड़ता है।

शासी परिषद की बैठक में कार्यों को मंजूरी दी जाती है। कई कामों को मंजूरी पहले दी जाती है और बैठक में बाद में रखा जाता है। वर्ष 2023 में ऐसे कई कामों की मंजूरी पूर्व कलेक्टर के कार्यकाल में दे दी गई थी जो गैरजरूरी थे। डीएमएफ एकाउंट पूरा खाली कर दिया गया था। ऐसे कामों में ज्यादातर सामग्री क्रय, नलकूप खनन से संबंधित थे। कलेक्टर रानू साहू ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद ऐसे कामों पर ब्रेक लगा दिया। उन्होंने समीक्षा करते हुए ऐसे 16 कामों को अटका दिया। सभी कार्यों के लिए दी गई राशि ापस मंगवा ली। करीब 33.49 करोड़ की मंजूरी को कैंसल कर दिया गया। इसमें से 16.64 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए थे। कलेक्टर के आदेश पर विभागों से 9.35 करोड़ रुपए वापस मंगवाए गए हैं। साथ ही खर्च की गई राशि के बारे में पूरी जानकारी देने को कहा गया है। सूची में महिला एवं बाल विकास विभाग, कृषि विभाग, उद्यानिकी, विद्युत यांत्रिकी सेवा, आदिवासी विकास विभाग, शिक्षा विभाग और जिला कौशल विकास अभिकरण शामिल है। कृषि विभाग को करीब छह करोड़, उद्यानिकी को चार करोड़, विद्युत यांत्रिकी सेवा को सवा दो करोड़, आजाक विभाग 50 लाख, डीईओ 2.15 करोड़ और कौशल विकास अभिकरण को चार करोड़ रुपए दिए गए थे। केवल सामग्री क्रय करने के लिए रकम दी गई थी। बताया जा रहा है कि इसके वेंडर पहले सेट किए गए और उस हिसाब से सामान और राशि तय की गई।

सामान खरीदो, कमीशन पाओ
रायगढ़ जिले में डीएमएफ को पिछले तीन सालों में कमीशनखोरी का सबसे बड़ा जरिया बना दिया गया। उद्यानिकी के लिए पावर वीडर और स्प्रेयर की खरीदी, कृषि विभाग को पावर वीडर, पावर स्प्रेयर, कीटनाशी, एजाडिरेक्टिन, मल्टीक्रॉप थ्रेसर, व्हील हो, हस्त चलित पौध संरक्षण यंत्र, पंप सेट, तारपोलिन, रागी बीज, ब्रश कटर, कम्पोस्ट नमूना परीक्षण और दाल मिल के लिए राशि दी गई। इन कामों के लिए वेंडर पहले से तय थे। हर मशीन में मोटी कमीशन अंदर किया गया है।