रायगढ़। कोविड से लडऩे के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी थी। केंद्र सरकार ने कोविड टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए इसमें लगे स्वास्थ्यकर्मियों को अलग से मानदेय देने का आदेश दिया। अब पता चला रहा है कि सरकार ने जिलों में मानदेय भेजा, इसे ब्लॉकों में भी भेजा गया लेकिन कहीं-कहीं इसका भुगतान ही नहीं हो सका है। रायगढ़ ब्लॉक के कई कर्मचारियों अभी भी भुगतान नहीं हो सका है। सरकार ने कोरोना से लडऩे के लिए कारगर टीके लगाने का अभियान छेड़ा था। रायगढ़ जिले ने तो विशेष उपलब्धि हासिल की थी। सरकार ने टीकाकरण में तेजी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमों को अतिरिक्त मानदेय देने की घोषणा की थी।
इसमें टीकाकरण समूहों को, प्रशिक्षण, प्रतिदिन का टीए-डीए, आउटसोर्स किए गए वैक्सीनेटर को प्रतिदिन मानदेय, मोबेलाइजर को भी भुगतान, लॉजिस्टिक्स, कोल्ड चेन प्वाइंट, प्रति वैक्सीनेटर हब कटर के लिए ब्लीच, हाईपोक्लोराइड सॉल्यूशन, कंटेनर, सत्र के दौरान जलपान व भोजन के लिए टीम के प्रत्येक सदस्य को सौ रुपए प्रतिदिन, थर्मल स्कैनर आदि कई श्रेणियों में मानदेय तय किए गए थे। सूक्ष्म कार्ययोजना, मानव संसाधन, लॉजिस्टिक, कोल्ड चेन व वैक्सीन वितरण, प्रिंटिंग व आईसी मटेरियल, मॉनिटरिंग और कंटिन्जेंसी सात तरीकों से मानदेय दिया जाना था।
रायगढ़ जिले में जो फंड आया उसका वितरण करने के लिए बीएमओ और बीपीएम को अधिकार दिए गए थे। लेकिन यह कहां बंटा और कहां नहीं, इसकी मॉनिटरिंग बाकी रह गई। रायगढ़ ब्लॉक में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यहां टीकाकरण अभियान में काम करने वाली टीमों को इतने महीनों बाद भी भुगतान नहीं हुआ है। लोइंग बीएमओ हितेश जायसवाल, बीपीएम वेभव डियोडिया और एकाउंटेंट पवन प्रधान के बीच कुछ पेंच फंस गया है।
भुगतान हुए बिना फंड खत्म
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से रायगढ़ ब्लॉक को भी फंड आवंटित किया गया था ताकि ड्यूटी के हिसाब से मानदेय दिया जा सके। अब कहा जा रहा है कि फंड खत्म हो गया है। सूत्रों के मुताबिक जिसने विरोध किया उसका मुंह बंद करने के लिए भुगतान कर दिया गया और बाकी ऐसे ही चुप हो गए। दरअसल जिस बैंक एकाउंट में राशि आई, वहां भी कोई बड़ा झोलझाल होने की संभावना है। कई स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि एकाउंटेंट पवन प्रधान ने कुछ गड़बड़ी की है, जिसके कारण ऐसा हुआ।
राशि मिली तो भुगतान क्यों नहीं
कई महीनों से स्वास्थ्यकर्मी मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सही जवाब नहीं दिया जा रहा है। जब सरकार ने लोइंग बीएमओ व बीपीएम को फंड जारी किया तो भुगतान क्यों नहीं हुआ। स्वास्थ्यकर्मियों से व्हाउचर जमा नहीं कराए जाने का कारण सामने आता है। लेकिन इतने महीनों में यह समस्या क्यों निराकृत नहीं हो सकी। क्या राशि को बैंक में जमा रखने में कोई अतिरिक्त लाभ मिला। इस मामले में एकाउंटेंट की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
क्या कहते हैं बीएमओ
हमारे पास जो फंड आया था, वो बांट दिया गया है और फंड की मांग की गई है। कितना भुगतान हुआ और कितना मांगा गया है, आपको नहीं बता सकता।
– हितेश जायसवाल, बीएमओ
