किसानों से नकद वसूली और खाद नकद विक्रय की राशि गबन करने वालों को खुला संरक्षण, समितियां हो गई दिवालिया, साख सीमा घटी
रायगढ़। सहकारी समितियों पर जिन अधिकारियों को लगाम लगानी है, वह कुर्सी पर बैठे ऊंघ रहे हैं। उनकी नींद का फायदा उठाकर समिति प्रबंधक गबन करते जा रहे हैं। वर्तमान में छह समितियों से ही करोड़ों की रिकवरी की जानी है, लेकिन उप पंजीयक ने फाइलों को लटकाने के अलावा कुछ नहीं किया।












रायगढ़ जिले में सहकारी समितियों की परिभाषा और उद्देश्य बदल चुका है। अब केवल प्रबंधक के जरिए समिति की राशि का गबन ही किया जा रहा है। इसकी वसूली के लिए जब फाइल चलती है तो उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं कार्रवाई नहीं करते। ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है। अविभाजित रायगढ़ जिले की करीब छह समितियां हैं जिनसे नकद वसूली, खाद विक्रय और हिस्सा राशि के करोड़ों रुपए वसूले जाने हैं। इनमें जतरी और साल्हेओना को मिलाकर ही करीब डेढ़ करोड़ रुपए हो रहे हैं। जतरी में तो 2015 से 2020 के बीच प्रबंधक बालकृष्ण पटेल ने यह राशि दबाई। उसके बावजूद वर्तमान में वही प्रबंधक की कुर्सी पर बैठा हुआ है।





इसी तरह साल्हेओना में 70 लाख, सरिया में 28 लाख, पंचधार में 10 लाख, राजपुर 13 लाख औैर छिंद 65 लाख रुपए वसूलने हैं। बैंक की जांच के बाद उप पंजीयक को वसूली की कार्रवाई करनी थी। एसके गोंड और चंद्रशेखर जायसवाल दोनों ने गबन की राशि रिकवरी के बजाय फाइलों को दबा दिया। इन समितियों के प्रबंधक अभी भी बड़े आराम से खुलेआम घूम रहे हैं। किसानों के लिए आए खाद को नकद में बेच दिया। खरीदारों में ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो वहां के किसान ही नहीं हैं। कुछ ऐसे भी किसान हैं जिनके पास दो-चार एकड़ जमीन है लेकिन उनके नाम पर 500 बोरी यूरिया बेचना दिखाया गया है। सहकारिता विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। इसे नियंत्रित करने के बजाय गबन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए हर साल तीन नई समितियां गबन की सूची में शामिल हो रही हैं।



एफआईआर होगी या संपत्ति होगी कुर्क
इन समितियों को लेकर अपेक्स बैंक मुख्यालय समीक्षा कर रहा है। बैंक को राशि रिकवरी करानी है। इसका अधिकार उप पंजीयक को दिया गया है। वहां फाइल दबा दी गई है। दरअसल ऐसे सभी मामलों में प्रबंधक की संपत्ति कुर्क किए जाने का प्रावधान है। साथ ही एफआईआर भी हो सकती है। समितियों से रिकवरी मामले में शासन भी एक्शन मोड में आ रहा है।
