धान के बदले दूसरी फसल लेने में किसानों की रुचि नहीं, पिछले साल की तुलना में आधे से कम हो गया रकबा
रायगढ़, 8 दिसंबर। धान के बदले दूसरी फसल लेने के लिए सरकार किसानों को कह-कहकर थक गई लेकिन कोई असर नहीं हुआ। इस बार खरीफ सीजन में तो पिछले साल की तुलना में आधे से अधिक रकबा कम हो गया। धान पंजीयन के साथ ऐसी भूमि की भी एंट्री की गई है जिन्होंने धान के स्थान पर दूसरी फसल ली है। रायगढ़ जिले में करीब 390 हे. पर ही दूसरी फसलें हैं जो पिछले साल 962 हे. था।












छग में धान का बोनस बढ़ने का असर दूसरी फसलों पर पड़ रहा है। किसानों ने ज्यादा से ज्यादा रकबे पर धान लगाने पर ही फोकस किया। इसी वजह से दूसरी फसलों का रकबा घट गया है। वर्ष 21-22 में 4367 किसानों ने धान के बदले दूसरी फसलों को चुना था। तब 962 हे. में सुगंधित धान, दलहन, तिलहन, साग सब्जी आदि की खेती की गई थी। वर्ष 22-23 में हालात पूरी तरह से बदल गए हैं। इस बार महज 1192 किसानों ने 390 हे. भूमि पर ही धान के बदले दूसरी फसल लगाई है। यह पिछले साल की तुलना में भारी गिरावट है। इस बात से संकेत मिलता है कि किसानों को धान में ही ज्यादा रुचि है क्योंकि इससे ज्यादा लाभ हो रहा है। उदाहरण के लिए गत वर्ष खरीफ सीजन में धान के स्थान पर 124 हे. में उड़द लगाई गई थी, जो इस बार मात्र 37 हे. है। वृक्षारोपण में भी 68 हे. से सीधे 8 हे. तक गिरावट हो गई है। ऐसा ही तकरीबन सभी फसलों के साथ हुआ है।





प्रोत्साहन राशि से भी नहीं बदला मन
किसानों को धान के स्थान पर दूसरी फसल लेने पर दस हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया गया था। इसके बावजूद किसानों ने ऑफर को नकार दिया है। पिछले साल भी वाहवाही पाने के लिए किसानों की फर्जी एंट्री कर दी गई थी जो बाद में सामने आ गई। 21-22 में दलहन का रकबा 232 हे. था जो इस साल 58 हे. हो गई है। एक ओर दालों की कीमतें बढ़ रही हैं लेकिन राज्य में दलहन का उत्पादन नहीं बढ़ रहा है।




