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Home | Raigarh News : चावल जमा करने के लिए दूसरे मिलरों से डील, रायगढ़ के 2 और सारंगढ़-बरमकेला के 5 मिलरों के पास धान ही नहीं, मंडी एक्ट के तहत भी नहीं होती कार्रवाई

Raigarh News : चावल जमा करने के लिए दूसरे मिलरों से डील, रायगढ़ के 2 और सारंगढ़-बरमकेला के 5 मिलरों के पास धान ही नहीं, मंडी एक्ट के तहत भी नहीं होती कार्रवाई

रायगढ़। कस्टम मिलिंग में जो मिलर वजन रख देता है, आदेश का रुख उसी तरफ मुड़ जाता है। जिन मिलरों के पास धान का एक दाना नहीं है, वह दस दिनों में कहां से चावल जमा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक तीन बड़े राइस मिलरों से चावल खरीदकर जमा करने की तैयारी की गई है। रायगढ़ जिले में पिछले दो साल में कस्टम मिलिंग को खेल बना दिया गया है। दूसरे जिलों के डीओ खुलकर बेचे जाते हैं। धान का उठाव करने के बाद चावल जमा नहीं करने वालों को समय दिया जा रहा है। शासन से धोखा करने वाले को उपकृत करने लॉबिंग की गई है।

रायगढ़ के जोहार राइस मिल को 8502 क्विं., बालाजी राइस मिल को 6964 क्विं., सारंगढ़-बरमकेला के दादी पिलासन राइस मिल को 10041 क्विं., शर्मा राइस मिल को 3993 क्विं., गणपति राइस मिल को 4400 क्विं., जेके राइस मिल को 891 क्विं. और ज्योतिबा फुले मिल को 453 क्विं. चावल जमा करना है। रायगढ़ के दोनों मिलरों को दस दिन में करीब 14 हजार क्विंटल चावल देना है। मतलब रोज करीब 1400 क्विं. चावल जमा करना होगा। इन मिलरों को रोज तीन-चार लॉट चावल कूटना होगा जो नामुमकिन है। ऐसे में प्लानिंग की गई है कि तीन बड़े मिलों से चावल लेकर कोटा पूरा किया जाए ताकि बीजी इनकैश करने से बचा जा सके।

डेढ़ सौ रुपए प्रति क्विंटल की कहानी
इन राईस मिलों को बचाने के लिए रायपुर में सेटिंग की गई है। अदालत ने पांच दिन की मोहलत देने को कहा था लेकिन खाद्य विभाग ने 15 दिन कर दिया। इसके एवज में कोई दूसरी ही कहानी सामने आ रही है। प्रति क्विंटल डेढ़ सौ रुपए की अवैध उगाही कर किसी ठिकाने में पहुंचाया जा रहा है। जिस तरह से नकद रकम इधर से उधर भेजी जा रही है, बहुत जल्द राइस मिलरों पर भी ईडी या आयकर विभाग का शिकंजा कसेगा।