शहीद नंदकुमार पटेल जिस गुलशन के बागवान थे, उसमें दो बेटे और दो बेटियों की प्रतिभा की महक से परिवार सुवासित था। ज्येेष्ठ पुत्र दिनेश उनके प्रथम पुत्ररत्न के रूप में सबसे दुलारे और प्यारे थे। वहीं बड़ी बेटी सरोजिनी और छोटी बेटी शशिकला ने भी अपनी प्रतिभा से परिवारजनों को गौरवान्वित किया। उमेश भाई-बहनों में सबसे छोटे होने के कारण सबके दुलारे थे। वे धीर गंभीर व्यक्तित्व एवं अंतर्मुखी प्रवृत्ति के रहे हैं। बेटी सरोजिनी और शशिकला अपने पिता के स्नेह और दुलार से अभिभूत रहती थीं जिनकी ज्ञानवर्धक बातों को वे आज अपनी पूंजी मानकर सहेजी हुई हैं। अपने जीवन पथ के लिए पिता की शिक्षा और संस्कार को अनमोल धरोहर मानती हैं जिनकी बदौलत वे अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिष्ठित हैं।
बेटियों को शिक्षा के लिए देते थे हमेशा प्रोत्साहन
शहीद नंद कुमार पटेल की बड़ी बेटी सरोजिनी पटेल बताती हैं कृषक पृष्ठभूमि और परंपरावादी परिवार होने के बावजूद बाबूजी शहीद नंद कुमार पटेल बेटियों की शिक्षा और ज्ञानार्जन के प्रति पूरी स्वतंत्रता देते पढ़ाई के लिए हमें प्रोत्साहित करते और आगे बढऩे के लिए प्रेरणा देते थे। मेरी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम के स्कूल में ही पूर्ण होने के बाद रायगढ़ के निजी विद्यालय में हॉस्टल में रहकर हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी की और बाद में फ ार्मेसी की डिग्री ली एवं एमबीए कर मैंने वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया। आज बाबूजी की सीख हमें कदम कदम पर पथ प्रदर्शित करती है।
बहुत ही सरल ढंग से कह देते थे गूढ़ बातें
छोटी बेटी डॉ. शशिकला बताती हैं बाबूजी हमेशा जीवनोपयोगी हर बात को हमें अच्छे से समझाया करते थे और वे अपने बेटे-बेटियों के बीच कभी भी भेद नहीं करते। हमें शिक्षा, संस्कार और व्यवहार की बातें तो सिखाते ही थे साथ साथ अपनी सुरक्षा और पारिवारिक जिम्मेदारी से भी अवगत कराते रहते थे। बाबूजी के निर्णय और निर्देशों में बड़ी-बड़ी गूढ़ रहस्य की बातें और हमारे भविष्य से संबंधित अहम निर्णय शामिल होते थे।
पारिवारिकजनों के कु शल-क्षेम से हमेशा जुड़े रहते
दोनों बेटियां बताती हैं कि बाबूजी का कार्यक्षेत्र विस्तृत होने के बावजूद वे पारिवारिक सदस्यों की अपेक्षाओं को हमेशा ध्यान रखा करते थे वह कहीं भी रहे अपने संपर्क माध्यम से घर के लोगों का हाल-चाल और कुशल क्षेम की जानकारी रखा करते थे उनके प्रत्येक निर्णय और जिम्मेदारी निर्वहन में मेरी मां श्रीमती नीलावती पटेल का भरपूर सहयोग और समर्पण भाव होता था।
इस तरह द्रवित हो जाते थे। बाबूजी छोटी बेटी डॉ. शशिकला पटेल अपने पिताजी की सहृदयता को याद करते हुए बताती हैं जब हम रायगढ़ में पढ़ते थे और ग्राम नंदेली के लिए अपनी जीप से बाबूजी हमें घर ले जाने को आते थे। रायगढ़ से नंदेली जाने के दौरान रास्ते में कभी-कभी बारिश होती और ग्रामीणजन बारिश से बचने पेड़ों के नीचे खड़े रहते थे, उन्हें देखकर बाबूजी उनके करीब जाते। उनका पता पूछते फि र अपनी गाड़ी से उन्हें उनके घर तक पहुंचाने जाते। इतने सेवाभावी व्यक्तित्व के धनी थे- बाबूजी नंदकुमार पटेल।
भाई उमेश भी चल रहे बाबूजी के पदचिन्हों पर
शहीद नंदकुमार पटेल की बड़ी बेटी सरोजिनी पटेल अपने अनुज छत्तीसगढ़ शासन में कैबिनेट मंत्री उमेश पटेल के दायित्व और जिम्मेदारी को भी कम नहीं मानती हैं। उनका कहना है, बाबूजी के व्यक्तित्व और कार्यशैली तो एक मिसाल के रूप में था वह अतिविशिष्टजनों में प्रतिष्ठित रहे किंतु भाई उमेश पटेल भी बाबूजी के पद चिन्हों पर चलते हुए अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। अप्रत्याशित रूप से राजनीति में आने के बावजूद वे पूरी विधानसभा के साथ छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में अपने विभागों के दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। हम अपने बाबूजी शहीद नंदकुमार पटेल के शिक्षा संस्कार और दी गई सीख को अपनी अनमोल पूंजी के रूप में संभाल कर रखे हैं जिससे अपने जीवन पथ पर कदम कदम पर एक सफ ल नागरिक बनने की ओर अग्रसर हैं।
प्रो. अंबिका वर्मा
