रायगढ़। खनिज विभाग का काम भी बहुत अजीब है। जिनके भंडारण लाइसेंस एक्सपायर हो चुके हैं, उनका काम बंद ही नहीं हो सका है। अवधि समाप्त होने के बाद सिर्फ टिमरलगा-गुड़ेली में ही 11 क्रशर ऐसे हैं जिनकी अनुज्ञप्ति की वैधता जून से दिसंबर के बीच खत्म हो चुकी है। इनका नवीनीकरण तो हुआ नहीं है लेकिन काम धड़ल्ले से चल रहा है। क्रशरों के अवैध कारोबार को रोकने के बजाय उसे खुलेआम संरक्षण दिया जा रहा है। सबसे ज्यादा गड़बड़ी भंडारण लाइसेंस वाले क्रशर कर रहे हैं। बिना लाइसेंस के भी क्रशर चलाए जा रहे हैं। खनिज विभाग हर भंडारण लाइसेंस के लिए अवधि तय करता है। किसी को 20 साल तो किसी को 30 साल की अवधि के लिए अनुज्ञप्ति स्वीकृत की जाती है।
अवधि खत्म होने के पूर्व क्रशरों को नवीनीकरण कराना होता है। उसके बाद ही क्रशर संचालित किया जा सकता है। लेकिन सारंगढ़ तहसील के टिमरलगा-गुड़ेली में 11 क्रशर ऐसे हैं, जिनका लाइसेंस जून से दिसंबर 2022 के बीच खत्म हो चुकी है। किसी को 9 जून 2022 तक अनुमति दी गई थी तो किसी को 21 जुलाई 2022 तक वैधता दी गई थी। दिसंबर में भी दो क्रशरों का लाइसेंस एक्सपायर हुआ है। इनका नवीनीकरण भी नहीं हो सका है। लेकिन क्रशरों का काम धड़ाधड़ चल रहा है। वैधता खत्म होने के बाद इनको टीपी नहीं दी जा सकती। खनिज विभाग में सेटिंग के कारण वैधता खत्म होने के बाद भी क्रशर उसी तरह चल रहे हैं।
नवीनीकरण के पहले स्टॉक में हेराफेरी
क्रशरों का नवीनीकरण करने के पहले खनिज विभाग को स्टॉक सत्यापन करना चाहिए। क्रशरों में उत्पादन और डिस्पैच के आंकड़े कभी भी नहीं मिलते। दरअसल अवैध पत्थरों के कारोबार की वजह से जारी टीपी से ज्यादा मात्रा की सेल होती है। दूसरे क्रशरों की टीपी खरीदकर भी लाइमस्टोन का परिवहन किया जा रहा है।
