बीते पांच सालों में सात करोड़ से अधिक रकम सोलर सिस्टम लगाने में खर्च, गौठानों में भी किए करोड़ों खर्च
रायगढ़। जिस तरह से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए रायगढ़ में रुपयों की बारिश की गई, उससे तो पूरा जिला जगमग कर उठता। लेकिन हालात यह हैं कि क्रेडा के लगाए सोलर सिस्टमों में 30 प्रश ही काम कर रहे हैं। शहर के सरकारी दफ्तरों में लगे हुए सोलर सिस्टम चालू हालत में हैं। गौठानों में तो कहीं पंप खराब हो गया तो कहीं बैटरी। नवीनीकृत ऊर्जा स्रोतों को अब विकल्प बनाने के लिए केंद्र सरकार प्रयासरत है। इसके लिए हर साल अरबों रुपए का निवेश किया जाता है। छग स्टेट रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी के जरिए प्रदेश में इस सेक्टर में काम किया जाता है। क्रेडा को सरकार की ओर से भी फंड मिलता है जिसमें सौर सुजला योजना के अलावा अन्य कई योजनाएं चलती हैं।
रायगढ़ जिले में डीएमएफ के छींटे इस विभाग पर भी पड़े हैं। अब तक डीएमएफ से क्रेडा को 7 करोड़ रुपए से भी अधिक मिल चुके हैं। इसकी उपयोगिता के बारे में सवाल करेंगे तो कोई ठोस जवाब नहीं मिलेगा। वर्ष 16-17 से लेकर 21-22 तक क्रेडा को डीएमएफ से करीब 7 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। 16-17 में पेयजल के लिए ही सोलर पंप, जल शुद्धिकरण संयंत्र और सप्लाई सिस्टम में ही चार करोड़ रुपए फूंक दिए गए। वर्तमान में इन प्रोजेक्ट की हालत के बारे में कोई बात ही नहीं करना चाहता। सभी तहसीलों के एक-एक गांव में सोलर पंप लगाए गए थे। कई गांवों को एक प्रोजेक्ट से जोडक़र पेयजल आपूर्ति व्यवस्था में भी राशि खर्च की गई थी। इसी तरह 18-19 में करीब 65 लाख, 19-20 में 57 लाख रुपए और 20-21 में 1.21 करोड़ रुपए डीएमएफ से क्रेडा रायगढ़ को दिए गए थे।
गौठानों और छात्रावासों के काम बेकार
क्रेडा ने सोलर सिस्टम लगाने के बाद इनका फॉलोअप ही नहीं किया। ज्यादातर गौठानों में सोलर सिस्टम लगाए गए थे जो अब अलग-अलग कारणों से बंद पड़े हैं। किसी के बोरवेल में पत्थर डाल दिया गया है तो किसी की वायरिंग खराब हो गई है। कहीं बैटरी भी काम नहीं कर रही है। आदिवासी विकास विभाग के छात्रावासों में तो और भी बुरा हाल है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद उपयोगिता का प्रतिशत बेहद कम है।
