कलेक्टोरेट पहुंचकर दिया आवेदन, कलेक्टर दर पर कर रही काम
रायगढ़। दिव्यांगों के लिए नीति को बेहतर करने की जरूरत है। अभी भी इनके साथ न्याय नहीं किया जाता। ऐसी ही एक दिव्यांग लक्ष्मी डनसेना ने कलेक्टोरेट पहुंचकर अपनी व्यथा बताई है। उसका कहना है कि 2007-08 में उसे काम पर रखने मुख्यमंत्री सचिवालय से पत्र भेजा गया था। काम पर तो रखा गया लेकिन नियुक्ति आदेश नहीं है।
यह प्रकरण दैनिक मजदूर के रूप में चौकीदार का काम करने वाली दिव्यांग लक्ष्मी डनसेना का है। वर्तमान में वह पोस्ट मैट्रिक आदिवासी कर्मचारी पुत्री छात्रावास में 2014 से कार्यरत है। 2007-08 में राज्यमंत्री सत्यानंद राठिया ने कलेक्टर को पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री सचिवालय से भी तत्कालीन कलेक्टर को पत्र लिखा गया था। इसके बाद लक्ष्मी को पोस्ट मैट्रिक कन्या छात्रावास में 2008-2013 तक और उसके बाद शाउमावि छाल में काम किया है। वर्तमान में वह पोस्ट मैट्रिक पुत्री छात्रावास में चौकीदार के रूप में कार्यरत है। करीब 14 साल तक काम करने के बावजूद उसे नियुक्ति आदेश नहीं मिला है। प्रार्थी निराश्रित और दिव्यांग है। उसके जीवन-यापन में कठिनाई आ रही है। उसने कलेक्टर दर के बजाय नियमित भृत्य पद पर नियुक्ति देने की मांग की है। उसने कलेक्टोरेट पहुंचकर इस संबंध में आवेदन भी दिया है।
दिव्यांग होने के कारण परेशानी
लक्ष्मी का कहना है कि दिव्यांग होने के कारण जीवन कठिन हो गया है। कलेक्टर दर पर जो राशि मिलती है वह कम है। इसमें गुजारा नहीं हो पा रहा है। इतने सालों से आदिवासी विकास विभाग के छात्रावासों में सेवा देने के बावजूद नियमित नहीं किया गया है।
