सक्ती। एनसीपी के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष नोवेल कुमार वर्मा 29 दिसंबर की शाम सक्ती शहर के पत्रकार साथियों से रूबरू हुए। उन्होंने अपने निवास पर एक रात्रिभोज का आयोजन मीडिया साथियों के सम्मान में किया। इस दौरान उन्होंने मीडिया के साथ नवीन जिला सक्ती के संबंध में खुलकर चर्चा की। वहीं पूर्व मंत्री नोवेल कुमार वर्मा के मित्र तथा कृषि उपज मंडी समिति के पूर्व अध्यक्ष पंडित देवेंद्र नाथ अग्निहोत्री भी उपस्थित रहे। चूंकि कार्यक्रम पूरी तरह से पारिवारिक था और राजनीति से परे था, लेकिन पूर्व मंत्री और पत्रकार एक जगह मिले तो जिले के विकास को लेकर चर्चाएं शुरू हुई।












पूर्व मंत्री नोवेल कुमार वर्मा ने कहा कि आज सक्ती जिला गठन के पश्चात् नागरिकों की जन भावनाओं को नजर अंदाज करते हुए प्रशासन एवं सत्ता पक्ष द्वारा सभी सरकारी दफ्तरों को शहर से दूर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। पूर्व मंत्री नोवेल कुमार वर्मा ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ प्रदेश में हसदेव बांगो की कैनाल तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की देन है तथा आज हसदेव बांगो की लेफ्ट कैनाल से सक्ती जिले के किसानों को वर्तमान ढलवा फसल के लिए पानी नहीं दिया गया है। जबकि जांजगीर-चांपा जिले के किसानों को पानी दिया जा रहा है, जो कि चिंता का विषय है एवं किसान काफी परेशान हैं। उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा वर्षों पूर्व सक्ती जिले के 3 विधानसभा क्षेत्रों में चिटफंड कंपनी के माध्यम से उन्हें संरक्षण देते हुए 300 करोड़ रुपए आम नागरिकों के खून पसीने की कमाई एकत्रित किया गया।





आज क्षेत्र के ये सभी लोग अपने पैसे वापसी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। वर्तमान कांग्रेस की सरकार ने भी इन सभी चिटफंड कंपनियों के पैसे माफी का कार्य किया है लेकिन दोषी आज भी बाहर घूम रहें हैं, जो कि हम सभी के लिए चिंता का विषय है। वर्मा ने कहा कि हमारे सक्ती जिले में टेमर रेलवे ओवरब्रिज तथा सकरेली रेल ओवर ब्रिज की नितांत आवश्यकता है, जो कि आज तक पूर्ण नहीं हुई है। साथ ही वर्मा ने शहर के वार्ड क्रमांक 17-18 से सिघनसरा को जोडऩे वाले रेलवे अंडर ग्राउंड, ओवर ब्रिज के लिए भी नितांत आवश्यकता बताया, साथ ही वर्मा ने कहा कि सक्ती क्षेत्र की जनता काफी सहनशील है एवं सक्ती को जिले का दर्जा मिलने के बाद जहां प्रशासन की उदासीनता के चलते लोगों को कलेक्टर कार्यालय एवं अन्य दफ्तरों में जाने के लिए अनावश्यक समय तथा पैसे की बर्बादी करनी पड़ रही है। समय रहते यदि हमने जिला प्रशासन एवं सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट नहीं करवाया तो वह दिन दूर नहीं जब लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।



