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Raigarh News : उमेश पटेल के खिलाफ इस बार भी अघरिया कार्ड खेलेगी भाजपा !

रायगढ़। बीजेपी के लिये मिशन इंपॉसिबल मतलब खरसिया विधानसभा सीट में एक बार फिर उच्च शिक्षा ंमंत्री उमेश नंदकुमार पटेल की घेराबंदी की तैयारी शुरू हो गई है। बीजेपी, इस मर्तबे फिर अघरिया कार्ड खेलने की व्यूह रचना तैयार कर रही है। युवा तुर्क महेश साहू की प्रबल दावेदारी के बीच भाजपा के युवा नेता सनत नायक का नाम अचानक चर्चा में आया है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो महेश साहू की तर्ज पर सनत नायक को भी ओपी चौधरी का आशीर्वाद हासिल है।
वर्ष १९७७ में खरसिया विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने से लेकर आजपर्यन्त कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने की बीजेपी की तमाम कोशिशें नाकाफी साबित हुई है। भाजपा ने इस सीट पर कई तरह के प्रयोग किए मगर कांग्रेस का यह सुरक्षित दुर्ग अब तक कायम है।

बीजेपी ने कई बार अघरिया कार्ड, कई बार अग्रवाल कार्ड व एक बार आदिवासी कार्ड भी खेला मगर वह कांग्रेस से पार नहीं पा सकी। स्वर्गीय नंदकुमार पटेल के वर्ष १९९० में पहली बार विधान सभा चुनाव जीतने के बाद से खरसिया सीट पर कांग्रेस का आधार और सशक्त हुआ। मजलूमों की बुलंद आवाज व किसानों के सर्वमान्य रह चुके स्व. नंद कुमार पटेल देश के उन चुनिंदा नेताओं की जमात में शामिल हैं जिन्होंने अपने राजनैतिक सफर में कभी विधानसभा चुनाव नहीं हारा, स्व. पटेल की विरासत को अब उनके सुयोग्य पुत्र उमेश पटेल भली-भांति सम्हाल रहे हैं। लगातार दो बार चुनाव जीत चुके उमेश पटेल की हैट्रिक की राह इस बार कठिन नहीं है।

इन सबके बीच अब बीजेपी युवा चेहरे पर दांव लगाने की मानसिकता में है और यह नाम है- ग्राम पंचायत कुसमुरा के सरपंच सनत नायक का, रामाधीन नायक के पुत्र सनत ने सरपंच पद से अपना सियासी करियर शुरू किया है। कुछ वर्ष पूर्व हुए सरपंच के प्रतिष्ठापूर्ण मुकाबले में सनत ने उमेश पटेल के विश्वसनीय सिपहसलार हेमसागर नायक (छोटू) को परास्त किया था। भाजपा के भरेासेमंद सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व सनत नायक में चुनावी संभावनाएं टटोल रही है। सनत युवा हैं और निर्विवाद छवि के भी हैं, तो वहीं जातिगत समीकरणों के नजरिए से भी फिट बैठते हैं तो सनत को उमेश पटेल के खिलाफ चुनावी दंगल में उतारा जा सकता है। सनत के अलावा अन्य दावेदारों में महेश साहू व कमल गर्ग का नाम शुमार है। कमोबेश अभी तो यह प्रारंभिक चर्चा है फिर भी उमेश नंदकुमार पटेल की घेराबंदी करने की भाजपा की कवायद कितना परवान चढ़ता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।