रायगढ़। रायगढ़ क्षेत्र में एसईसीएल की कोई भी खदान सुचारू रूप से चलने के बजाय किसी न किसी मामले में फंस रही है। सबसे बड़ी दिक्कत प्रभावितों को उनका हक नहीं देने के कारण हो रही है। छाल के बाद अब बिजारी प्रभावितों ने आंदोलन छेड़ दिया है। मुआवजा और पुनर्वास के अलावा प्रदूषण को लेकर भी उन्होंने एसईसीएल पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है।
एसईसीएल की खदानों के लिए सालोंसाल चलने वाली भूअर्जन प्रक्रिया दोषपूर्ण हो जाती है। नियमों का ढोल पीटने वाले एसईसीएल ने समय पर किसी भी प्रोजेक्ट का अधिग्रहण पूरा नहीं किया। कई साल तक मुआवजा नहीं बांटा जाता तो कभी नौकरी का इंतजार भी लंबा हो जाता है। इसीलिए रायगढ़ की खदानों में आंदोलन होते ही रहते हैैं। कभी छाल तो कभी बरौद खदान के प्रभावित आंदोलन करते हैं। अब बिजारी के प्रभावितों ने भी मोर्चा खोल दिया है। 29 दिसंबर 2022 को हुए समझौते के उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को प्रभावितों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि बिजारी ओपन कास्ट माइंस के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया है लेकिन कृषि भूमि का मुआवजा अब तक नहीं मिल सका है। खनन प्रारंभ करने के पूर्व बिजारी वासियों को कहीं और बसाने का वादा किया गया था। इसकी योजना ही नहीं बन सकी है। मुआवजा ट्रिब्यूनल में जमा होने की बात कहकर एसईसीएल अफसर पल्ला झाड़ रहे हैं।
आंदोलनकारियों का कहना है कि आबादी भूमि पर बने मकानों का सर्वे भी नहीं हो सका है। प्रभावितों को नौकरी भी नहीं दी जा रही है। इसी क्षेत्र में जहां एक एकड़ में भी नौकरी दी जा रही है, वहीं कुछ किसानों को दो एकड़ में भी पुनर्वास लाभ नहीं मिल रहा है। सीबी एक्ट के तहत दो एकड़ में एक नौकरी का प्रावधान है। कंट्रोल ब्लास्ट नहीं होने के कारण गांव में मकानों को नुकसान हो रहा है। प्रदूषण भी बढ़ता ही जा रहा है।
एसडीएम पहुंची प्रभावितों से चर्चा करने
आंदोलन की जानकारी मिलने पर घरघोड़ा एसडीएम ऋषा ठाकुर प्रभावितों से चर्चा करने पहुंची। आंदोलन से बिजारी खदान भी ठप हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि गत 29 दिसंबर को हुए समझौते के बिंदुओं का पालन नहीं किया जा रहा है। उनकी मांगें पूरी नहीं करने तक आंदोलन जारी रहेगा।
