रायगढ़। धान खरीदी में हर साल हो रहे घोटालों को रोकने के बजाय बढ़ावा देने के लिए विभाग काम कर रहे हैं। पिछले साल की तरह इस साल भी फर्जी रकबा जोड़ा गया है। करीब एक महीने पहले सभी एसडीएम और तहसीलदारों को सत्यापन का आदेश दिया गया था। अभी तक रिपोर्ट का अता-पता नहीं है। राज्य सरकार ने किसान पंजीयन के लिए जो एकीकृत पोर्टल शुरू किया था उसमें भारी गड़बड़ी है। एनआईसी ने इस तरह से डाटा मर्ज किया कि गांव के कुल कृषि रकबे से अधिक का पंजीयन हो गया।
ऐसी कई गड़बडिय़ां सामने आने के बाद कलेक्टर ने राजस्व विभाग को सत्यापन का काम दिया था। तहसीलदार और संबंधित हलका पटवारी सत्यापन को समितिवार सत्यापन कर रिपोर्ट देने को कहा गया था। 27 उपार्जन केंद्र ऐसे हैं जहां दस प्रश से अधिक रकबा बढ़ गया। इन्हीं में ज्यादा गड़बड़ी हुई है। कलेक्टर ने आदेश दिया था कि फर्जी रकबा मिला तो पटवारी के साथ समिति के ओआईसी पर भी कार्रवाई होगी। इस मामले में अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। किसी भी अनुविभाग में अब तक सत्यापन के बाद रकबा कटौती की रिपोर्ट सामने नहीं आई है। इस साल सात ब्लॉकों में 4800 नए किसान और 5962 हेक्टेयर रकबा बढ़ गया है।
वन अधिकार पट्टों पर धान
मिली जानकारी के मुताबिक कई किसानों ने वन अधिकार पट्टों का पंजीयन करवाया है। इसमें धान लगाने का दावा किया गया है लेकिन यह सही नहीं है। कई तहसीलों में गड़बड़ी सामने आ रही है। सत्यापन में मामला पकड़ा गया है। रकबा कटौती का काम पूरा नहीं हो सका है।
