दुर्ग का किशन एग्रोटेक सबसे बड़ा सप्लायर, पांच-छह फर्मों ने बनाया सिंडिकेट, ज्यादा कीमत पर हुई सप्लाई
रायगढ़। दुर्ग-भिलाई की फर्मों से चाइनीज मशीनें खरीदी के मामले में केवल कृषि विभाग ही नहीं है। उद्यानिकी विभाग भी इसमें काफी आगे है। एक सोची समझी साजिश के तहत बीज निगम को बीच में रखकर खरीदी की गई ताकि कोई भी घपले की जड़ तक न पहुंच सके। कुछ और भी विभागों के नाम सामने आ सकते हैं।
दुर्ग की किशन एग्रोटेक संचालक निकुलभाई मनुभाई पटेल ने रायगढ़ जिले में सबसे ज्यादा सप्लाई की है। कृषि विभाग और उद्यानिकी विभाग के अलावा जिसने भी रोटरी टिलर, मिनी पल्वेराइजर की खरीदी की है, सभी ने बीज निगम से ही संपर्क साधा। सूत्रों के मुताबिक इस घपले में कई बड़े नाम शामिल हैं। रायपुर में ही घोटाले की रूपरेखा बनाई गई। पहले यह तय किया गया कि कैसे जिलों में इन मशीनों की खरीदी का माहौल बनाया जाए। आजीविका को बढ़ावा देने का दावा कर गौठानों में मशीनों की बहुत जरूरत दिखाई गई।
हालांकि वर्तमान में यह मशीनें कहीं नहीं दिखेंगी। इसके बाद बीज निगम को जरिया बनाया गया। संबंधित फर्मों से उन मशीनों की सप्लाई करने कहा गया, जिसमें मार्जिन बहुत ज्यादा है। किशन एग्रोटेक दुर्ग को रोटरी टिलर और मिनी पल्वेराइजर की सप्लाई करने का आदेश दिया गया। डीएमएफ की बंदरबांट के लिए यह एक फुलप्रूफ प्लान था। रायगढ़ जिले में उद्यानिकी विभाग से जो बच गया, उसकी खरीदी के लिए कृषि विभाग को आदेश दिया गया। उपसंचालक कृषि को फर्म और ब्रांड का नाम बताकर वही सामग्री खरीदने का आदेश दिया गया था। ऐसा पहली बार हुआ कि कलेक्टर के निर्देश पर फर्म के नाम पहले ही तय कर दिए गए। कृषि विभाग ने दो करोड़ की मशीनें बिना टेंडर निकाले रेट कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर खरीद डाले।
घपले की कर्ई परतें खुलेंगी
जैसे-जैसे मामले की पड़ताल आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे प्याज के छिलकों की तरह सच सामने आता जा रहा है। कृषि विभाग ने 95 गौठानों में दोनों मशीनों की खरीदी की। सप्लाई में किस फर्म की मशीन आई, यह भी नहीं देखा गया। डिलीवरी ऑर्डर में किशन एग्रोटेक का नाम है लेकिन मशीन जेएम इंटरप्राइजेस की है। मतलब सभी फर्म आपस में सिंडिकेट बनाकर काम कर रहे हैं। चीन में निर्मित मशीनों को अपना नाम देकर बेचा जा रहा है जो धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। इस मामले में एफआईआर भी हो सकती है।
