रायगढ़। नगर निगम किसी भी कॉलोनी को विकास अनुज्ञा देने के साथ कई तरह की शर्तें लागू करता है। इसमें कमजोर आय वर्ग और बंधक भूमि को लेकर महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। कॉलोनी में आंतरिक विकास कार्य करने के विरुद्ध 25 प्रश प्लॉट बंधक रखे जाने हैं। श्रीराम कॉलोनी को नगर निगम से विशेष छूट दी गई। विकास कार्य पूरे होने के पहले ही बंधक भूमि को मुक्त कर दिया गया जिस पर कॉलोनाइजर ने निर्माण कर लिया है। नगर निगम से श्रीराम कॉलोनी बोईरदादर के कॉलोनाइजर सावित्री देवी अग्रवाल, पृथ्वीपाल और शारदा मोहन को 2.622 हे. में विकास अनुमति दी थी। कॉलोनाइजर ने 2,82,230 वर्गफुट पर लेआउट पास करवाया था। खसरा नंबर 8, 12, 26, 27 और 28 की 2.622, हे. में भूमि पर कॉलोनी काटी गई थी। कॉलोनाइजर को बिजली, पानी, नाली, गार्डन समेत कई विकास कार्य किए जाने थे।
अनुज्ञा की शर्त के अनुसार आंतरिक विकास कार्य होने तक प्लॉट क्रमांक डी-1, डी-2, ए-1, 2, 3, 4, 5, सी – 1, 2, 3, 4, बी-1, 2, 3, 4 , 5, 6, 8, 9, 11, ई- 1, 2, 3 को बंधक रखा गया था। विकास कार्य पूरा होने के बाद ही यह बंधक भूमि मुक्त की जाती लेकिन नगर निगम में सांठगांठ कर विकास कार्य पूरे होने के पहले ही भूमि मुक्त करा ली गई। उक्त भूखंडों में कॉलोनाइजर से मकान भी बना लिए हैं लेकिन कॉलोनी के कई हिस्सों में विकास कार्य का पता नहीं है। केवल प्लॉट बेचकर कॉलोनाइजर ने हाथ खड़े कर लिए हैं। बताया जा रहा है कि बंधक भूमि को फ्री करने के बदले लेन-देन भी किया गया है। कई ऐसी शर्तें हैं जिनका खुला उल्लंघन किया गया है। ईडब्ल्यूएस के लिए दी जा रही जमीन को समतलीकरण के बाद तार से घेरकर रखना चाहिए। विकास कार्य पूरे होने के बाद ही भवन निर्माण की अनुमति दी जानी थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
कहां गई ईडब्ल्यूएस की जमीन
श्रीराम कॉलोनी के कॉलोनाइजर ने दो जगहों पर ईडब्ल्यूएस जमीन दी थी। उस भूमि को भी बेचा जा रहा है। खसरा नंबर 8 और 12 की भूमि को कमजोर आय वर्गों के लिए दिया गया था। वहीं ओपन एरिया के नाम पर भी जमीन खाली छोड़ी जानी थी। बंधक भूमि के साथ ईडब्ल्यूएस की जमीन को भी बेचा गा है। नगर निगम ने चुप रहकर इसे मौन सहमति दी है। निगम में कई कर्मचारी ऐसे हैं जो कॉलोनाइजर के इशारों पर काम करते हैं।
