रायगढ़। हर बार की तरह इस बार भी रायगढ़ विधानसभा सीट का चुनाव समर दिलचस्प होने वाला है। भाजपा में जहां प्रत्याशी चयन को लेकर यादवी संग्राम छिड़ा हुआ है तो वहीं कांग्रेस में कमोबेश ऐसे हालात नहीं हैं मगर हलचल अवश्य तेज है जो फिलहाल सतह पर नजर नहीं आ रहा है। सरसरी तौर पर जनमानस में यह धारणा है कि कांग्रेस प्रकाश नायक को उम्मीदवार बनाएगी मगर उनके तमाम विरोधी सक्रिय हो गए हैं और वे इसी प्रयास में जुटे हैं कि किसी सूरत में पाटी प्रकाश नायक को रिपीट करे। सार्वजनिक तौर पर यह मुजाहिरा आम नहीं होता है मगर भीतरखाने में भारी खदबदाहट है।
विधायक प्रकाश नायक के लिये इस बार उम्मीदवारी की डगर आसान नहीं होने वाली है। खुद प्रकाश, इस राय से जरूर इत्तेफाक रखते हैं। यही वजह है कि प्रकाश ने अभी से अपने ज्ञान चक्षु खोल लिये हैं। प्रकाश नायक ने अब तक के अपने विधायकी कार्यकाल में क्या किया, क्या नहीं, इसका मूल्यांकन बाद में जनता करेगी मगर बतौर जनप्रतिनिधि के रूप में उन्होंने आमजन का दिल जीतने में कोई कोर कोसर बाकी नहीं रखा है। जनता से सीधे संवाद, कार्यकर्ताओं से अदब के साथ बातचीत करना और जनसमस्याओं के निराकरण के लिये प्रकाश तत्पर रहे हैं परन्तु राजनीति में केवल इतने से बात नहीं बनती है क्योंकि विरोधी सियासी वध करने की हमेशा तैयारी में रहते हैं।
फिर सियासत की इस रिवायत से प्रकाश नायक कैसे अप्रभावित रह सकते हैं। कांग्रेस अब तक जो गोपनीय सर्वे कराए हैं, उसके रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक प्रकाश जीत की दहलीज से कुछ पीछे है। प्रकाश के अलावा संगठन के तमाम नेता इस बात से वाकिफ हैं तो विरोधी एक कदम आगे की खबर रखेंगे ही ना। प्रकाश नायक की सक्रियता जीवटता, कार्यक्षमता व मैनेजमेंट के उनके विरोधी भी मुरीद हैं। फिर भी प्रकाश नायक की टिकट को सौ प्रतिशत सुनिश्चित नहीं माना जा रहा है। प्रकाश नायक के अलावा अन्य दावेदारों में अनिल अग्रवाल (चीकू) व पूर्व जिला पंचायत सदस्य व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बासुदेव यादव के नाम प्रमुखता से शामिल हैं।
अनिल व बासुदेव का प्रकाश नायक से छत्तीस का आंकड़ा है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। यहां तक कि अनिल व बासु की प्रकाश से संवाद की स्थिति भी नहीं है। रायगढ़ सीट को पूर्व में पारंपरिक अग्रवाल सीट माना जाता रहा है। रायगढ़ सीट के पिछले ६० बरस के राजनैतिक इतिहास की बात करें तो केवल पण्डित निरंजन लाल शर्मा, डॉ. शक्राजीत नायक व प्रकाश नायक ने इस मिथक को तोड़ा है अन्यथा इस सीट पर प्राय: अग्रवाल समाज के नेता ही विधायक निर्वाचित होते रहे हैं। ऐसे में अनिल अग्रवाल के दावे को एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता है।
अनिल के दादा जननायक रामकुमार अग्रवाल की एक दौर में रायगढ़ की राजनीति में तूती बोलती थी। अनिल के उच्चस्तरीय सियासी संपर्क सूत्र हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अनिल खास शागिर्द हैं। उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल से चीकू के प्रगाढ़ रिश्ते हैं। वहीं, रायगढ़ के प्रथम महापौर जेठूराम मनहर वरिष्ठ कांग्रेस नेता संतोष राय, सतपाल बग्गा व जिला कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण) के पूर्व अध्यक्ष नगेन्द्र नेगी का अनिल को पूरा सानिध्य व समर्थन हासिल है। रायगढ़ में अनिल के मुकाबले ऐसा कोई नेता नहीं है तो राजधानी दौड़ लगा सके। अनिल की दावेदारी को जो एक सिरे से खारिज कर रहे हैं, फिलहाल वे अभी मुगालतेे में हैं। अनिल के अलावा बासुदेव यादव भी वेटिंग इन कैंडीडेट हैं। ग्रामीण अंचलों का बासु यादव लगातार खाक छाान रहे हैं उनकी सक्रियता के प्रतिमान समझें तो वे हार मानने वाले नेताओं में शामिल नहीं हैं।
अ. भा. कांग्रेस कमेटी के सचिव चंदन यादव नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया व परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल से बासुदेव यादव के अच्छे ताल्लुकात हैं। उनकी दावेदारी का सबसे अधिक निराशाजनक पक्ष यह है कि पिछला डीडीसी चुनाव प्रकाश नायक के छोटे भाई कैलाश नायक से हार गए थे। बहरहाल अभी विधानसभा चुनाव होने में १० महीने बाकी हैं, इसलिए अभी कई समीकरण बनेंगे और बिगडेंग़े भी, प्रकाश नायक दूसरी बार उम्मीदवार बनने में कामयाब होंगे या नहीं, यहतो आने वाला समय ही बताएगा।
