राजस्व विभाग ने ऐसा करने वाले अधिकारियों को कार्रवाई की दी चेतावनी, अवार्ड पारित होने के 6 माह के अंदर ही भूल सुधार
रायगढ़। रायगढ़ जिले में भूअर्जन के नियम यहीं के अधिकारी बनाते हैं और तोड़ते हैं। किसी अवार्ड को मनमाने तरीके संशोधित कर दिया जाता है जिसके पहले संबंधित विभाग या पक्षकार की बात तक नहीं सुनी जाती। ऐसे में अवार्ड राशि ही बदल जाती है। अब ऐसी मनमानी करने वाले अधिकारियों को राज्य शासन ने चेतावनी दी है। भूमि अधिग्रहण एक बेहद गंभीर प्रक्रिया है जिसे संपन्न करने वाले अफसर और कर्मचारी लापरवाह हो गए हैं। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिसमें अवार्ड होने के बाद बिना पक्षकार की बात सुने संशोधन कर दिया जा रहा है। इस वजह से पूर्व में तय अवार्ड राशि बदल जा रही है।
रायगढ़ जिले में हर सरकारी प्रोजेक्ट में ऐसा हुआ है। पूरक पर पूरक अवार्ड पारित होते रहते हैं। ऐसे प्रकरणों पर राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने संज्ञान लिया है। विभाग सचिव एनएन एक्का ने आदेश में कहा है कि अब प्रभावित भूमि के मुआवजा निर्धारण के बाद भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 33 के तहत अधिनिर्णय में निहित लिपिकीय या गणितीय भूल होने पर अवार्ड पारित होने के छह माह की अवधि में इसको शुद्ध किया जा सकेगा। अधिनियम के विपरीत संशोधन अवार्ड पारित करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
एक महीने के अंदर प्राधिकरण को भेजें प्रकरण
आदेश में कहा गया है कि अवार्ड को स्वीकार नहीं करने वाले किसी भूमि स्वामी के लिखित में आवेदन करने की स्थिति में 30 दिन के अंदर प्रकरण प्राधिकरण को भेजा जाए। ताकि उसका निराकरण जल्द किया जा सके। वर्तमान में आपत्तियों को निराकृत नहीं कर पाने की स्थिति में भी भूअर्जन अधिकारी प्रकरण को लंबित ही रखते हैं।
