संयुक्त जांच टीम ने की थी जांच, कलेक्टर न्यायालय में प्रकरण लंबित
रायगढ़। किसानों के नाम पर रकबा बढ़ाकर धान बेचने वाले घोटाले में कई खुलासे अभी भी बाकी हैं। राजपुर और लैलूंगा के बाद लारीपानी में भी जांच कराई गई थी। इसमें भी कुछ गड़बड़ी मिली तो प्रकरण पंजीबद्ध कर कलेक्टर कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है। हैरानी की बात है कि इतना होने के बावजूद यहां के प्रबंधक को तीन केंद्रों का प्रभार दिया गया है।
सहकारिता विभाग में नियम-कायदे सब दरकिनार कर दिए गए हैं। सांठगांठ कर किसी को भी समिति में बैठा दिया जाता है। दागी प्रबंधकों को भी एक नहीं तीन केंद्रों का जिम्मा दिया जाता है। कोई माई-बाप ही नहीं है। विभाग की व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी हो चुकी है। ताजा मामला लारीपानी समिति से सामने आई है। यहां के प्रबंधक नरेश भोय को लैलूंगा और बीरसिंघा का भी प्रभार दिया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 21-22 में लारीपानी में भी रकबा वृद्धि समेत कई गड़बडिय़ों की शिकायत हुई थी।
इस पर लैलूंगा एसडीएम और सहकारिता विभाग की संयुक्त जांच भी हुई थी। बताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट को बहुत ही गोपनीय तरीके से प्रस्तुत किया गया। सहकारिता विभाग ने लारीपानी प्रबंधक को बचाने पूरा जोर लगा दिया है। इस केस की सुनवाई कलेक्टर कोर्ट में चल रही है। अब लारीपानी के साथ दागी समिति लैलूंगा और बीरसिंघा का प्रभार भी नरेश को मिल गया है। इधर राजपुर समिति में पुराने कंप्यूटर ऑपरेटर सुशील बेहरा को नियुक्त करने का मामला गर्म हो गया है। पिछले साल की तरह इस साल भी पंजीयन में गड़बड़ी शुरू हो चुकी है।
करोड़ों की गड़बड़ी, फिर से कराएंगे अधिकारी
वर्ष 21-22 में लैलूंगा, राजपुर, बीरसिंघा, लारीपानी समेत करीब दर्जन भर समितियों में रकबा बढ़ोतरी का खेल खेला गया था। फर्जी रकबे पर धान बेचकर किसान को भुगतान भी हो गया। इसका आहरण कर बंदरबांट कर ली गई। मतलब जो रकबा वास्तविक था ही नहीं, उसमें सरकार के करोड़ों रुपए चले गए। इस रकम से कई अधिकारी भी मालामाल हो गए हैं। इस बार फिर से उसी तर्ज पर गड़बड़ी शुरू की जा चुकी है। इसीलिए सुशील बेहरा और नरेश जैसे लोगों पर मेहरबानी की जा रही है।
